पटनाः डॉ दीनानाथ शरण हिन्दी के उन साहित्यकारों में से थे, जो पत्रकारिता और साहित्य की एकांतिक सेवा करते रहे. वह साहित्य के एकांतिक साधक, मनुष्यता के कवि और एक विद्वान समालोचक थे. यह बात बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित डॉ दीनानाथ शरण जयंती और सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने कही. सुलभ ने कहा कि डॉ दीनानाथ ने पीड़ितों को स्वर दिया तथा शोषण और पाखंड के विरूद्ध कविता को हथियार बनाया. इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और सीयूएसबी के कुलपति डॉ सीपी ठाकुर समारोह उद्घाटनकर्ता के रूप में मौजूद रहे. मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पटना हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि भारत-नेपाल के संबंध विस्तार में साहित्य का बड़ा योगदान हो सकता है.
इस अवसर पर डॉ ठाकुर ने हिंदी और नेपाली साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष और साहित्यकार डॉ राम दयाल ‘राकेश’ को इस वर्ष के डॉ दीनानाथ शरण स्मृति सम्मान से विभूषित किया. याद रहे कि सम्मेलन की कार्यसमिति की बैठक के दौरान पिछले दिनों ही राकेश के लिए इस सम्मान का फैसला हुआ था. सम्मेलन की बैठक में जुलाई में सम्मेलन के 42वें महाधिवेशन की राष्ट्रव्यापी सफलता और आनंदोत्सव सह सम्मान समारोह की बात भी तय की गई. इस दौरान निर्णय किया गया कि उक्त कार्यक्रम में सम्मेलन शिरोमणि, सम्मेलन चूड़ामणि, सम्मेलन रत्न, सम्मेलन सेवी पुरस्कार दिया जाएगा. कार्यसमिति की बैठक में सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ, उपाध्यक्ष डॉ उपेंद्र नाथ पांडेय, डॉ शंकर प्रसाद, डॉ कल्याणी कुसुम आदि मौजूद थे. पुरस्कार समारोह में राज कुमार नाहर, पूनम झा, कुमार अनुपम, जियालाल आर्य, डॉ शरण के पुत्र कौशल अजिताभ समेत अन्य साहित्यकार उपस्थित थे.