भिलाईः ‘मुक्तकंठ साहित्य समिति’ के तत्वावधान में स्थानीय वैशाली नगर के ‘सियान सदन’ में डॉ बीना सिंह ‘रागी’ के संयोजन में एक शाम साहित्य के नाम आयोजन हुआ. पिता को समर्पित इस कार्यक्रम में दुर्ग-भिलाई के कवि-लेखक रौनक जमाल और समाजसेवी व कवयित्री नीता कम्बोज ‘शीरी’ को मुक्तकंठ सम्मान से अलंकृत किया गया. सम्मान सत्र का संचालन समिति के महासचिव ओमप्रकाश शर्मा एवं द्वितीय सत्र कविता गोष्ठी का संचालन डॉ बीना सिंह ‘रागी’ ने किया. मुख्य अतिथि नरेंद्र कुमार सिक्केवाल ने आज के युवाओं पर यह कविता पढ़ी-
मेरी बेटी तूने क्यों कर लिया डिसाइड
अचानक करने की सुसाइड
केवल इतनी सी बात पर,
जिनको आना था नहीं आया
इसलिए वैलेंटाइन डे मना नहीं पाया.
विशिष्ठ अतिथि डॉ सुचित्रा शर्मा ने बताया कि बड़ी बहन डॉ शीला शर्मा की लिखी रचना को पढ़ते-पढ़ते मुझे भी साहित्य से अथाह लगाव हो गया और आने वाले समय में हो सकता है मैं भी कुछ कविता लिखने लगूं. प्रदीप भट्टाचार्य ने पढ़ा-
मिलेंगी इतनी सारी खुशियां,
मुझे खबर न थी,
महकेगी बगियों की बारात,
मुझे खबर न थी,
बहुत तमन्ना थी,
आपसे मिलने की,
आप मेरे दिल में ही रहोगे,
मुझे खबर न थी.
अध्यक्षता कर रहे ‘मुक्तकंठ साहित्य समिति’ के अध्यक्ष एवं साहित्यकार गोविंद पाल ने अखिल भारतीय अखंड सर्वभाषी कविता पाठ के कार्यक्रम की योजना के बारे में बताया. अंचल के 50 से भी अधिक रचनाकारों ने देर रात तक कविता पाठ किया. जिनमें डॉ बीना सिंह ‘रागी’, प्रकाश चंद्र मण्डल, ठाकुर दशरथ सिंह भुवाल, एनएल मौर्य ‘प्रीतम’, रामबरन कोरी ‘कशिश’, डॉ नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘सब्र’, सोनिया सोनी, माला सिंह, संध्या जैन, हाजी रियाज़ खान गौहर, ओमवीर करण, नावेद रजा दुर्गवी, इस्माइल आज़ाद, आलोक नारंग, हाज़ी निजाम ताहिर, प्रशांत देशपांडे, टीएन कुशवाहा ‘अंजन’, पं वासुदेव भट्टाचार्य, बैकंठ महानंद, केडी खरे, राधेश्याम प्रसाद, रीत सिंह रितु, कमल मिश्रा, बृजेश मलिक, सानिया कम्बोज आदि प्रमुख थे.