देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा की अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने स्थानीय यमुना कॉलोनी स्थित अपने आवास पर गढ़वाली बाल कहानी संग्रह ‘दाना सयाणों का किस्सा’ और ‘पिंकी बनी जासूस’ का विमोचन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में भारतीय भाषाओं का विकास जरूरी है, और इसके लिए यह आवश्यक है कि बच्चों के लिए अच्छे साहित्य क्षेत्रीय भाषा में उपलब्ध हों. विधानसभा अध्यक्ष ने ‘दाना सयाणों का किस्सा’ और ‘पिंकी बनी जासूस’ के प्रकाशन पर लेखिका डॉ कुसुम रानी नैथानी को बधाई और शुभकामनाएं दी. उन्होंने गढ़वाली भाषा में प्रकाशित पुस्तक ‘दाना सयाणों का किस्सा’ की तारीफ करते हुए कहा कि उम्मीद है डॉ नैथानी भविष्य में भी बच्चों के लिए अपनी बोली भाषा में उत्कृष्ट साहित्य का प्रकाशन करती रहेंगी.
याद रहे कि पुस्तक ‘दाना सयाणों का किस्सा’ में उत्तराखंड की तैंतीस लोक कथाएं शामिल हैं. इसी तरह ”पिंकी बनी जासूस’ बाल कहानी संग्रह में बच्चों के लिए विभिन्न विषयों जैसे पर्यावरण, वन संरक्षण, अंधविश्वास निवारण एवं सामान्य जन-जीवन से जुड़ी तेईस कहानियां संकलित हैं. ‘दाना सयाणों का किस्सा’ बाल कथाकार डॉ कुसुम रानी नैथानी का गढ़वाली भाषा में तीसरा और ‘पिंकी बनी जासूस’ हिंदी में प्रकाशित पांचवां बाल-कहानी संग्रह है. नैथानी की हिंदी में अब तक सात सौ से अधिक बाल कहानियां, हिंदी में ही पांच बाल कहानी संग्रह, एक बाल उपन्यास और गढ़वाली में तीन कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. शैलेश मटियानी उत्तराखंड राज्य शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार, राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार एवं जिला प्रशासन देहरादून की ओर से कोरोना योद्धा सम्मान से सम्मानित पूर्व प्रधानाचार्य डॉ नैथानी बच्चों के लिए विगत पंद्रह वर्षों से पाक्षिक बाल समाचार पत्र ‘बाल पक्ष’ का भी संपादन कर रही हैं और कई कहानियों के लिए पुरस्कृत हो चुकी हैं.