हरिद्वारः इससे बेहतर प्रक्रिया क्या होगी कि बच्चों पर लिखी गई कृति को सम्मानित करने में खुद उनकी भूमिका भी हो. बाल प्रहरी, बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा तथा नेताजी सुभाषचंद्र बोस आवासीय छात्रावास, लालढांग द्वारा उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी के समापन समारोह में यही देखने को मिला. इस अवसर पर डॉ वेद मित्र शुक्ल को ‘कहावतों की कविताएं’ के लिए बाल प्रहरी बाल साहित्य-2023 से सम्मानित किया गया. पर इस सम्मान की खास बात यह थी कि इस कृति का मूल्यांकन 3 विद्यालयों के 321 से अधिक बच्चों से पढ़वाकर किया गया. इस अवसर पर हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय, देहरादून के कुलपति प्रो हेम चंद्र, सिंघानिया विश्वविद्यालय राजस्थान के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो राम निवास ‘मानव’, वरिष्ठ बाल साहित्यकार गोविंद शर्मा, प्रो प्रभा पंत, दयानंद आर्य, राकेश जुगरान, उदय किरौला और योगेश्वर सिंह सहित विभिन्न प्रान्तों से आए बाल साहित्यकार उपस्थित थे. सम्मान के तौर पर प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिह्न, पुष्पम पत्रम तथा अंग वस्त्र भेंट की गई.
ज्ञात हो कि वेद मित्र शुक्ल कृत ‘कहावतों की कविताएं’ में लोक कहावतों पर आधारित कहानियों को कविता रूप में लिखा गया है. यह पुस्तक बच्चों में और विद्यालयों में बहुत लोकप्रिय रही. शुक्ल ने ‘कहावतों की कविताएं’ को मिले सम्मान को गौरव की बात बताते हुए कहा कि यह बाल साहित्य में लोकचेतना का सम्मान है. शुक्ल की अब तक एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें से हाल ही में आया बाल कविता संग्रह ‘जनजातीय गौरव’ शामिल है. इसका लोकार्पण फ़िजी में आयोजित 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में हुआ था. सम्मान समारोह के दौरान बाल कविता वाचन सत्र का भी आयोजन हुआ. संगोष्ठी में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, बिहार, सिक्किम और महाराष्ट्र सहित 12 राज्यों के 112 प्रतिनिधि रचनाकारों ने सहभागिता की.