नई दिल्लीः नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी की कार्यकारी परिषद ने अपनी विशेष बैठक में जब संस्थान का नाम बदलकर ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय और लाइब्रेरी सोसाइटी’ करने का निर्णय लिया तो उसके पीछे तर्क भी दिए. परिषद के सदस्यों ने कहा कि संस्थान के नाम में वर्तमान गतिविधियों को प्रतिबिंबित होना चाहिए. कारण इस जगह अब एक ऐसा संग्रहालय भी शामिल है, जो स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र की सामूहिक यात्रा को दर्शाता है और प्रत्येक प्रधानमंत्री के राष्ट्र निर्माण में योगदान को प्रदर्शित करता है. संग्रहालय पुनर्निर्मित और नवीनीकृत नेहरू संग्रहालय भवन से शुरू होता है और पं जवाहरलाल नेहरू के जीवन और योगदान को अद्यतन तकनीक के साथ उन्नत रूप से प्रदर्शित करता है. नए भवन में स्थित यह संग्रहालय दर्शाता है कि कैसे हमारे प्रधानमंत्रियों ने विभिन्न चुनौतियों के बीच में से देश को निकालते हुए देश के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित किया है. यह सभी प्रधानमंत्रियों को मान्यता देता है, जिससे सही मायनों में संस्थागत स्मृतियों का लोकतंत्रीकरण हुआ है. इस विशेष बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की, जो सोसायटी के उपाध्यक्ष भी हैं. दरअसल, कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने स्वागत भाषण में ही नाम परिवर्तन की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि प्रधान मंत्री संग्रहालय लोकतंत्र के प्रति राष्ट्र की गहरी प्रतिबद्धता को व्यक्त करता है और इसलिए संस्थान का नाम इसके नए रूप को प्रतिबिंबित करना चाहिए.
इसके बाद रक्षा मंत्री और सोसाइटी के उपाध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नाम में परिवर्तन के प्रस्ताव का स्वागत किया, और कहा कि चूंकि अपने नए रूप में यह संस्थान पं जवाहरलाल नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक सभी प्रधानमंत्रियों के योगदान और उनके सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों से निपटने की उनकी रणनीति को प्रदर्शित करता है, इसलिए यह उचित होगा. उन्होंने प्रधानमंत्री पद को एक संस्था बताते हुए और विभिन्न प्रधानमंत्रियों की यात्रा की तुलना इंद्रधनुष के विभिन्न रंगों से करते हुए सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि एक इंद्रधनुष को सुंदर बनाने के लिए उसमें सभी रंगों का आनुपातिक रूप से प्रतिनिधित्व किया जाना चाहिए. इस प्रकार हमारे सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों को सम्मान देने के लिए इस प्रस्ताव के द्वारा इसे नया नाम दिया गया है और यह लोकतांत्रिक भी है. याद रहे कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में तीन मूर्ति परिसर नई दिल्ली में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक संग्रहालय स्थापित करने का विचार रखा था. एनएमएमएल की कार्यकारी परिषद ने 2016 में अपनी 162वीं बैठक में तीन मूर्ति एस्टेट में सभी प्रधानमंत्रियों के संग्रहालय के निर्माण परियोजना के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. इस परियोजना के पूरा होने पर इसे अप्रैल 2022 से आम जनता के लिए खोल दिया गया था.