बीकानेरः हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को लेकर शहर के कवियों, शायरों, साहित्यकारों की एक अनूठी पहल थी. हिंदी, राजस्थानी और उर्दू के कवियों और शायरों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से मतदाता जागरूकता अभियान चलाया और नागरिकों से मतदाता सूची में नाम जुड़वाने और निर्वाचन के दौरान शत-प्रतिशत मतदान करने की अपील की. जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की पहल पर स्वीप प्रकोष्ठ ने स्थानीय सूचना केंद्र सभागार में कवि-गोष्ठी आयोजित की. कासिम बीकानेरी ने ‘जात-पात के नाम पर, मत देना तुम वोट’ पढ़कर गोष्ठी की आरंभ किया. कवि बाबूलाल छंगाणी ने राजस्थानी गीत ‘वोटिंग करणी है’ सुनाया, तो राजाराम स्वर्णकार ने ‘जागरण री बेळा आई’ सुनाया. बुनियाद ज़हीन ने पढ़ा ‘महकता है लोकतंत्र’, तो जुगल पुरोहित ने ‘मन में खुशियां रहें, वोटों की शक्ति जाने’ गीत प्रस्तुत किया.
कवि राजेंद्र स्वर्णकार ने पढ़ा, ‘रहना सजग सचेत वोटर हर पल’, तो मनीष आर्य सोनी की कविता के बोल थे, ‘टाबरियां ले सागै टुरगी, छोड़ धीणै नैं पाळी टुरगी.’ कार्यक्रम संयोजक संजय पुरोहित ने पढ़ा ‘लोकतंत्र है मान मुल्क का’. जनसंपर्क विभाग के सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक दिनेश चंद्र सक्सेना ने बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज कराई और इस कार्यक्रम की सराहना की. अध्यक्षता वरिष्ठ लेखाधिकारी राजेंद्र खत्री ने की. इससे पहले स्वीप के सह संयोजक हरि शंकर आचार्य ने जागरूकता गतिविधियों की आवश्यकता के बारे में बताया. कवि गोष्ठी में डॉ अजय जोशी, आत्मा राम भाटी, सहायक जनसंपर्क अधिकारी निकिता भाटी, महेश उपाध्याय, फिरोज खान, सुधीर मिश्रा, परमनाथ सिद्ध, पवन खत्री, प्रियांशु आचार्य और नवरत्न जोशी सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी मौजूद थे.