वाराणसीः कबीर जयंती पर पूरे देश में आयोजनों की धूम रही. कबीरपंथियों ने पद, शबद, कीर्तन, साखी पढ़े तो साहित्यिकों ने उनके कवि कर्म की चर्चा की. कबीर जयंती पर वाराणसी के उमरहा स्थित स्वर्वेद महामंदिर धाम में आयोजित संगोष्ठी में विहंगम योग के संत प्रवर विज्ञान देव महाराज ने कहा कि कबीर में जहां दर्शन, अध्यात्म, ज्ञान-वैराग्य की गूढ़ता मिलती है, वहीं उनके साहित्य में समाज सुधार का शंखनाद भी है. कबीर की वाणी में उनका कालजयी व्यक्तित्व विद्यमान है. उनके ज्ञान एवं सन्देश को किसी पंथ के रूप में स्वीकार करना उनकी महान उदारता को आवरण में रखने के समान है. उन्होंने कहा कि कबीर किसी मत संप्रदाय के प्रवर्तक नहीं थे. उन्होंने सम्पूर्ण मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है. उधर कोटा के धरणी धर जन सेवा संस्थान विनोबा भावे नगर में कबीर पारख संस्थान और संत कबीर आश्रम सेवा ट्रस्ट ने दो दिवसीय कबीर जयंती समारोह आयोजित किया, जिसमें संत कबीर के जीवन पर चर्चा हुई.
आश्रम के संत प्रभाकर ने कहा इंसानियत ही सच्चा धर्म है. जिस मार्ग पर चलकर किसी का अहित ना हो वही मार्ग परमात्मा तक पहुंचाता है. उन्होंने कहा कि कबीर साहेब ने चित्र से बढ़कर चरित्र व नकली से हटकर असली को महत्त्व दिया. जिस दिन समाज में नकली से मोहभंग होगा उस दिन देश तरक्की के शिखर पर होगा. उन्होंने कहा कि सत्य धर्म की रक्षा के लिए जो आगे आता है वही कबीर है. कबीर साहेब ने पाखंड, मिथ्या आडंबर व कुरीतियों से मुक्त समाज की आधारशिला रखी. निवाई के संत उचित साहेब ने कहा कि प्रेम में इतनी नजदीकी होती है कि वहां धीरे से कही बात भी सुन ली जाती है. क्रोध में इतनी दूरी बढ़ जाती है कि चिल्लाकर बोलने पर भी कोई नहीं सुनता. साध्वी विशाखा ने कहा कि जीवन को समझने के लिए कबीर का जीवन दर्शन उपयोगी है. संत गुरुबोध दास ने ‘संतो के सम्राट सद्गुरु बंदी छोड़’ गीत की प्रस्तुति दी. कार्यक्रम में संत सुबोध साहेब, पारख साहेब, राम साहेब समेत अन्य लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किए. समारोह के मुख्य अतिथि विधायक मदन दिलावर ने कबीर की शिक्षाओं को विज्ञान की कसौटी पर खरा बताया.