नई दिल्लीः साहित्य अकादमी और सरस्वती सम्मान से समादृत हिंदी के वयोवृद्ध कवि-कथाकार प्रोफेसर रामदरश मिश्र पर केंद्रित दो पुस्तकों का लोकार्पण उन्हीं सान्निध्य में राजधानी स्थित उनके आवास पर हुआ. पहली पुस्तक हरिशंकर राढ़ी और उपेंद्र कुमार मिश्र के संपादन में हंस प्रकाशन से प्रकाशित ‘समकालीन अभिव्यक्तिः रामदरश मिश्र एकाग्र` है, तो दूसरी पुस्तक मशहूर शैली वैज्ञानिक प्रोफेसर पांडेय शशि भूषण शीतांशु द्वारा लिखित `रामदरश मिश्रः एक बसंत दिग दिगंत` है. इस अवसर पर डॉ रामदरश मिश्र ने कहा कि ये पुस्तकें लेखकों और संपादकों ने स्वत: स्फूर्त रूप से लिखी और संपादित की हैं, जिसके लिए मैं उनका आभारी हूं. उन्होंने कहा कि मैंने कभी किसी पर दबाव नहीं डाला कि वह मुझ पर लिखे, लेकिन यह मित्र लेखकों की कृपा है कि वह मुझे महत्त्व देते हैं तथा मेरे लिखे पर लिखकर प्रसन्न होते हैं.
प्रोफेसर मिश्र ने कहा कि यह समकालीन अभिव्यक्ति का मुझ पर एकाग्र विशेषांक था, जो अब इस रूप में हिंदी जगत के सामने किताब के रूप में पुनर्प्रकाशित हुआ है. उन्होंने ‘समकालीन अभिव्यक्तिः रामदरश मिश्र एकाग्र अंक` को बेहतरीन तरीके से पुस्तकाकार रूप देने के लिए हंस प्रकाशन के निदेशक हरेंद्र तिवारी के प्रति आभार व्यक्त किया और दोनों संपादकों के प्रति भी साधुवाद व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि पांडे शशिभूषण शीतांशु लंबे अरसे से उनके संपर्क में हैं तथा उन्होंने बहुत मन से यह पुस्तक लिखी है. उनके प्रति भी साधुवाद. इस अवसर पर कवि आलोचक डॉ ओम निश्चल, वेद मित्र शुक्ल, हरिशंकर राढ़ी, उपेंद्र कुमार मिश्र, सरस्वती मिश्र और प्रो स्मिता मिश्र आदि उपस्थित थे. इस अवसर पर उपस्थित वक्ताओं ने डॉ मिश्र के कृतित्व और उनके योगदान के साथ ही इन पुस्तकों पर अपने विचार व्यक्त किए. संचालन डॉ वेद मित्र शुक्ल ने किया.