हनुमानगढ़ः कागद फाउंडेशन व अखिल भारतीय साहित्य परिषद हनुमानगढ़ की ओर से जंक्शन स्थित ओम पुरोहित कागद स्मृति पुस्तकालय में एक काव्य गोष्ठी हुई, जिसकी अध्यक्षता बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने की. युवा कवि जयसूर्या ने ‘गलतफहमी थी कि मैं शांत हूं, सुनसान राह पर पता लगा, कितना शोर है मुझमें’ और ‘गुम हूं मैं कोई मेरी तलाश करे…’ कविता सुनाकर गोष्ठी का आगाज किया. शायर सुरेंद्र सत्यम ने ‘तेरे दिल को चोट पहुंचे, ऐसा मेरा मन नहीं है, पर तेरे यूं रूठ जाने में भी अपनापन नहीं है’ गजल पढ़कर वाहवाही बटोरी और बाल गीत ‘शुरू में पुरू बेटा चूरू गए थे’ भी पढ़ा.
साहित्यकार नरेश मेहन ने ‘मैं थार हूं, सूरज की तरह गर्म और चांद की तरह नर्म’ तथा ‘ना कोई जात है और ना कोई पात है, बस मछलियां हैं सब मछलियां, कोई छोटी तो बड़ी मछली’ कविता पढ़ी. अदरीस रसहीन ने ‘अपना समझ कर बात रख, पहले दिल पे जरा हाथ रख’ और ‘गलत काम पे होने लगी है वाह-वाह देखिए, अब सच पर भारी पड़ेगी अफवाह देखिए…’ कविता के जरिए इंसानी रिश्तों, समाज की कशमकश तथा विसंगतियों को रेखांकित किया. वरिष्ठ साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने ‘कोई बात तो है’ कविता सुना कर प्रशंसा बटोरी. उन्होंने ‘रे मन तुझे जब आती है किसी की याद’ कविता के माध्यम से मानवीय मनोविज्ञान को भी बखूबी बयां किया. इस अवसर पर मरुधरा साहित्य परिषद के सचिव नरेश मेहन ने बताया कि नवोदित रचनाकारों व साहित्यकारों को एक मंच देने के लिए हर माह गोष्ठी का आयोजन किया जाता है.