चंडीगढ़ः साहित्यिक संस्था ‘मंथन’ चंडीगढ़ द्वारा एक काव्य गोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार डॉ उर्मिला कौशिक सखी की अध्यक्षता में हुआ. मुख्य अतिथि के रूप में कवि सतीश चन्द्र उपस्थित थे. मंच संचालन हास्य-कवि दीपक खेतरपाल ने किया. काव्य-गोष्ठी का शुभारम्भ शायरा खुशबू सुभाष ‘खुशबू’ की गजल ‘कहीं कोई मचलता है कहीं कोई सिसकता है’ से हुआ. तत्पश्चात शायरा उर्मिला कौशिक सखी ने गजल ‘जरा सुन लो सजन तुमसे जमाने भर के शिकवे हैं’ सुनाया. कृष्ण कांत ने अपनी गजल ‘अभी ही तो था आंखों के सामने अभी ओझल हो चला’ से लोगों का दिल जाता.
आगे का मंच शायर सुशील हसरत नरेलवी ने संभाला. उन्होंने सुनाया ‘कहने को यूं तो बात भर हूं मैं’, तो राजन सुदामा ने पढ़ा ‘दिलों में हो रही हसरत तो देखो’. शायर नवीन गुप्ता ने अपनी गजल से भाषा पर यह भाव रखा कि ‘तेरे यहां पर नुक्ता है, मेरे यहां पर बिन्दी है’, तो दीपक खेतरपाल ने हास्य कविता पढ़ी, ‘कितना मुश्किल हो गया सफर जिन्दगी का इम्युनिटी के बिना’. किरण आहूजा इस कविता से माहौल जमा दिया कि ‘अपने विशाल देश पे मुझे मान है, यह मेरी आन बान और शान है’, तो दर्शन सिंह ने पढ़ा ‘नुमाइश में सजे गुलदान में खिले गुलाब के फूल का सौन्दर्य अजीम है’. ऋषि राज ने पंजाबी कविता पढ़ी ‘प्राइवेट अस्पताल की लूट’, तो हरिन्द्र सिन्हा ने ‘घर की आन बान शान होती हैं बेटियां’ सुनाकर समा बांध दिया.