कोलकाता: शिक्षाविद, साहित्यकार और आलोचक डॉ शंभुनाथ के 75 वर्ष के होने पर भारतीय भाषा परिषद के सभागार में उनके विद्यार्थियों, शिक्षकों और साहित्य प्रेमियों ने पूरे दिन का एक कार्यक्रम आयोजित किया. तीन सत्रों में विभाजित इस कार्यक्रम के पहले सत्र में सम्मान और शंभुनाथ से जुड़ी वाणी प्रकाशन से प्रकाशित दो पुस्तकों ‘एक भारतीय बुद्धिजीवी के सपने’ और सभ्यताओं का संवाद का लोकार्पण हुआ, तो दूसरे और तीसरे सत्र में डॉ शंभुनाथ के सारस्वत सम्मान के साथ ही ‘आज के संदर्भ में भक्ति आंदोलन’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी भी आयोजित हुई. इस अवसर पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अवधेश प्रधान, प्रो श्रीप्रकाश शुक्ल, आलोचक रविभूषण, रवींद्र भारती विश्वविद्यालय कोलकाता के प्रो हितेंद्र पटेल, प्रो गोपेश्वर सिंह, प्रो विजय बहादुर सिंह, प्रो वैभव सिंह और कवि-फिल्मकार देवी प्रसाद मिश्र आदि ने व्याख्यान दिए.
इस अवसर पर डॉ शंभुनाथ पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन भी हुआ. अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत शंभुनाथ की रचनाओं पर कविता-कोलाज और लघु-नाट्य प्रदर्शन भी हुआ. याद रहे कि डॉ शंभुनाथ कोलकाता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में 35 सालों तक शिक्षक रहे. इसी बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा में तीन साल निदेशक थे. उन्होंने 2006 में अफगानिस्तान के काबुल विश्वविद्यालय जाकर हिंदी के उच्च शिक्षण की शुरुआत की और नागालैंड जाकर वहां दूसरी भाषा के रूप में हिंदी की पढ़ाई को लोकप्रिय बनाया. 2007 में न्यूयॉर्क में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन के आयोजन में भी उन्होंने खास भूमिका निभाई थी. इन सत्रों के बाद विद्यार्थियों ने शंभुनाथ की कविताओं और कहानी पर दो कार्यक्रम प्रस्तुत किए. यह आयोजन भारतीय भाषा परिषद और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के सौजन्य से हुआ.