बदायूंः डॉ उर्मिलेश जन-चेतना समिति ने अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया. कार्यक्रम में देश के ख्यातिलब्ध कवियों एवं शायरों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. अतिथि के रूप में नगर विधायक महेश चन्द्र गुप्ता, भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता, पूर्व विधायक प्रेमस्वरुप पाठक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ ओपी सिंह उपस्थित हुए. इस अवसर पर हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा को डॉ उर्मिलेश स्मृति काव्य शिखर सम्मान, युवा ओज कवि अशोक चारण को ओजस्वी स्वर सम्मान, ग़ज़लकार मुमताज नसीम को ग़ज़ल सम्मान एवं गीतकार आईएएस अधिकारी डॉ अखिलेश मिश्रा को गीत श्री सम्मान से सम्मानित किया गया. कवि सम्मेलन प्रारम्भ हुआ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रजव्वलन से हुआ. इसके बाद पद्मश्री से सम्मानित कवि सुरेन्द्र शर्मा ने काव्य पाठ किया. उनकी चंद हास्य पंक्तियां यों थीं, ‘ऊ पत्नी जी, जै मै ऊ युग मैं, महाराणा परताप होत्तो तो कि होत्तो, वा बोल्ली- महाराणा परताप को घोड़ो चेतक खुद मरणे की जगा थारा ही पराण ले लेत्तो.’ कवि अशोक चारण ने पढ़ा, ‘ये जहरीला घूंट कसम से हंसकर के पी जाऊंगा, मेरी मौत को मिले तिरंगा मरकर भी जी जाऊंगा’. गीतकार डॉ विष्णु सक्सेना ने कि एक कविता के बोल थे, ‘तन और मन हैं पास बहुत पर सोच, सोच में क्यों दूरी है, हम बदलें तो कहा बेवफा, वो बदलें तो मजबूरी है.’ मुमताज नसीम ने पढ़ा, ‘आज इकरार कर लिया हमने, खुद को बीमार कर लिया हमने, अब तो लगता है जान जायेगी, तुमसे जो प्यार कर लिया हमने.’
संचालक कवि सर्वेश ने पढ़ा, ‘रिश्तों में तकरार बहुत है, फिर भी इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को बस अपना परिवार बहुत है.’ हेमंत पांडेय ने पढ़ा, ‘एक-एक प्रेमी को बांटकर ले गये, जो नहीं माना उसे डांटकर ले गये, जिस पेड़ पे बांधा था मोहब्बत का धागा, नगर निगम वाले उसे भी काटकर ले गये.’ कमल हातवी ने पढ़ा, ‘मोहब्बत ज़ख्म है मरहम नहीं है मगर मरहम से कोई कम नहीं है, तुम्हीं से तो नहीं था इश्क मुझको, तुम्हारा ही तो मुझको गम नहीं है.’ गीतकार आईएएस अधिकारी डॉ अखिलेश मिश्रा ने पढ़ा, ‘अब अदालत में खड़ी मूरत रुआंसी हो रही है, अब कहां इस मुल्क में कातिल को फांसी हो रही है.’ शायर चराग शर्मा ने पढ़ा, ‘तुम्हारा क्या है तुम्हें सिर्फ ज्ञान देना है, हमारी सोचो हमें इम्तिहान देना है, उन्होंने अपने मुताबिक सजा सुना दी है, हमें सजा के मुताबिक बयान देना है.’ कवयित्री अंकिता नादान ने पढ़ा, ‘जाने कैसी ये प्यास कैसी ये अगन जगी है, इक नदी को समंदर की लगन लगी है.’ श्रोताओं की मांग पर डॉ सोनरुपा विशाल ने डॉ उर्मिलेश की प्रमुख गजल ‘लड़कियां-लड़कियां’ गाया. डॉ अक्षत अशेष ने ‘प्रमुख गीत गायेंगे-गायेंगे हम वन्देमातरम्’ गाया. आयोजन में डॉ इसहाक तबीब की पुस्तक का विमोचन भी हुआ. इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के विभाग प्रचारक विशाल दीक्षित, एएसपी सिटी अमित किशोर श्रीवास्तव, नगर मजिस्ट्रेट ब्रजेश सिंह, कृषि अधिकारी देवेश सिंह, सिद्धपीठ बाला जी दरबार के महंत मटरुमल शर्मा, समिति की अध्यक्षा मंजुल शंखधार, डॉ. उपदेश शंखधार, विशाल रस्तोगी, रिचा अशेष, भाजपा महामंत्री शारदेंदु पाठक सहित तमाम गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे.