भोपालः स्थानीय बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र में ‘बाल साहित्य’ पर संवाद कार्यक्रम आयोजित हुआ. इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान में प्रधान संपादक के रूप में कार्यरत डॉ अमिता दुबे ने भोपाल के चुने हुए बाल साहित्यकारों से बाल साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर संवाद किया. इस अवसर पर अपने वक्तव्य में दुबे ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि आम जीवन में बच्चा बनना जितना कठिन है, उतना ही कठिन बाल साहित्य लिखना भी है. बाल साहित्य बच्चों की जरूरतों के अनुसार लिखे जाने चाहिए. दुबे ने कहा कि बच्चों के लिए लिखा जा रहा साहित्य चाहे वह लोरी हो, कहानी या कविता इनमें सहजता और सरलता होनी चाहिए. इसके साथ ही उनका विषय भी परिवेश के अनुसार होना चाहिए.
कार्यक्रम में अतिथि के रूप में राष्ट्रीय कला मंदिर संस्था के अध्यक्ष डॉ गौरी शंकर शर्मा ‘गौरीश’ तथा वरिष्ठ साहित्यकार अशोक धमेनिया, श्याम गुप्ता दर्शना भी उपस्थित रहे. इन लोगों ने दुबे की बात पर सहमति जताई. बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र के संचालक महेश सक्सेना ने सभी का आभार माना. डॉ विनीता राहुरिकर ने कार्यक्रम का संचालन किया. संवाद कार्यक्रम में नीना सिंह सोलंकी, किरण खोड़के, राजकुमारी चौकसे, रंजना शर्मा, अनिल अग्रवाल, अरविंद शर्मा, सुनीता शर्मा सिद्धि, साधना श्रीवास्तव आदि ने अपने विचार के माध्यम से बाल साहित्य से जुड़े विभिन्न विषयों पर जिज्ञासा प्रकट की. डॉ. अमिता दुबे ने सभी प्रश्नों के उत्तर दिए. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार और साहित्य-प्रेमी उपस्थित रहे.