नई दिल्ली: “लम्बे अरसे बाद कविता की किताब ने द्रवित किया. इन कविताओं ने मेरे अन्दर की मानवीयता का विस्तार किया है.” यह कहना है गगन गिल का. वे इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में वरिष्ठ कवि एवं भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी तजेन्द्र सिंह लूथरा के कविता संग्रह ‘एक नया ईश्वर’ के लोकार्पण के अवसर पर आयोजित परिचर्चा में बोल रही थीं. लूथरा का यह संग्रह वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. 2008 में मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमले में कई पुलिसकर्मियों और नागरिकों के शहीद होने के बाद ‘मैं आभारी हूं आपका’ जैसी कविता लिखने वाले लूथरा मानते हैं कि कविता ऐसी होनी चाहिए जो पढ़ने वाले के मर्म तक जाये. कार्यक्रम में उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार और लेखक बलबीर पुंज ने कहा, ‘एक नया ईश्वर’ संग्रह एक नयी उत्सुकता पैदा करता है. हम सभी किसी न किसी स्तर पर सुख-दुख झेलते हैं. उन्होंने कहा कि आत्म लिखने से पहले पढ़ना चाहिए. लेखक वही हो सकता है जो अच्छा पाठक हो.
डॉ किरण मिश्रा ने ‘अरबी घोड़ा’ कविता का वाचन किया और कहा कि इस कविता को पढ़कर लगा आज का मनुष्य घनीभूत नियम से हटकर अपने नियम गढ़ना चाहता है. प्रताप राव कदम ने कहा कि दुख लिखने के लिए प्रेरित करता है. प्रयाग शुक्ल ने लूथरा के कविता संग्रह को सामाजिक जीवन के साधारण प्रसंग का संग्रह कहा. कार्यक्रम का संचालन कवि-गीतकार व समालोचक ओम निश्चल द्वारा किया गया. कार्यक्रम के अतिथियों का स्वागत और आभार समूह की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने किया. इस अवसर पर समूह के अध्यक्ष व प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी के अलावा पूर्व पुलिस आयुक्त नीरज कुमार, साहित्यकार लीलाधर मंडलोई, दिविक रमेश, वंदना राग सहित बड़ी संख्या में पत्रकार, साहित्यकार, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे.