हिसार: हिसार के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक सेठी के संयोजन में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी की शुरुआत पूनम मनचंदा ने मां शारदे की वंदना से की. मंच संचालन वरिष्ठ साहित्यकार नीरज कुमार मनचंदा ने किया. नवोदित कवयित्री रिया नागपाल ने ‘दिल में लिए दर्द हम मुस्करा के चला करते हैं, कौन सुनेगा हमारी दर्द भरी दास्तां यह सोचकर हम अपना मुंह बंद कर लिया करते हैं’ सुनाकर सबकी तारीफ पायी. कवयित्री डिम्पल सैनी ने अपनी बेहतरीन रचना ‘कभी यूं भी तो हो… कि किसी कमीज पर बटन टांकने जितना सरल हो, डायरी के किसी कोने में अंतिम पलों सरीखे वाक्य बगैर कांपे इन उंगलियों से लिखे जाये’ से सभी का दिल जीत लिया. पूनम मनचंदा ने अपनी ग़ज़ल ‘रखता नहीं किसी से अब कोई वास्ता भी, अपने में सब हैं डूबे ये कैसी जिंदगी है, देने से ही तो मिलती खुशियां यहां जहां में, गर कायदा न माना गायब हुई खुशी है’ सस्वर सुनाकर सराहना पायी.
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ गीतू धवन भूटानी ने अपनी रचना ‘नहीं कोई जो हो मोम सा कोमल, सब तेरे शहर में है पत्थर से, हाथ में लिए फिरते थे जो रबाब, नहीं देखें फिर वो मस्त कलंदर से’ सुनाकर सबकी वाहवाही पायी. अनिता जैन ने अपनी गजल ‘मन समझाया जा सकता है, सब्र दिलाया जा सकता है, प्रेम डगर से ही हर दिल में, आया जाया जा सकता है’ के माध्यम से खुशबू बिखेरी. नीरज कुमार मनचंदा ने ‘मेरे जज्बात पे जब से तेरा पहरा निकल आया, लगा मुझको परायों में कोई अपना निकल आया’ सुना सबकी तालियां बटोरीं. कवि वीरेन्द्र सैनी ने अपनी ग़ज़ल ‘पूस के बादल से आदमी हैं दोस्तों, सुना कृष्ण नानक की जमीं है दोस्तों, रात भर शबनम टपकी फलक से, आफताब की आंखों में नमी है दोस्तों’ सुनाकर सबका मन मोह लिया. संयोजक अशोक सेठी ने अपनी रिश्तों की उदासीनता पर तंज कसती हुई अपनी रचना ‘किसको आवाज दें किसका लें नाम, आदमी हमें पीपलों से लगे’ प्रस्तुत कर समां बांध दिया. इस अवसर पर कमल भूटानी, विजय नागपाल, विजय वर्मा, देवराज ठाकुर, रंजीत राजपाल और दीपक जोशी उपस्थित रहे.