जमशेदपुर: आजादी का अमृत महोत्सव अवसर पर स्थानीय कदमा स्थित डीबीएमएस स्कूल में डीबीएमएस कॉलेज ऑफ एजुकेशन और एबीएम कॉलेज के संयुक्त तत्वाधान में 'समुन्नत भारत के निर्माण में साहित्य की भूमिका' विषय पर दो दिवसीय परिचर्चा का उद्घाटन उपायुक्त जाधव विजया नारायण राव और कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलसचिव जयंत शेखर ने संयुक्त रूप से किया. अपने संबोधन में उपायुक्त ने साहित्य को समृद्ध भारत के निर्माण में एक अति आवश्यक अध्याय के रूप में चिन्हित किया. उन्होंने कहा कि भारत में विभिन्न भाषाओं की अत्यंत समृद्ध परंपरा है. जिनके साहित्य ने यहां की सामाजिक, नैतिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र को हमेशा दिशा प्रदान किया है. राव ने कहा कि साहित्य और संस्कृति का सान्निध्य उन्हें परिवार से प्राप्त हुआ है. वे पॉलिटिकल साइंस में इंटरनेशनल रिलेशंस की स्टूडेंट रही हैं, लेकिन साहित्य से भी गहरा संबंध रहा है. उन्होंने कहा कि अगर आपने साहित्य का अध्ययन नहीं किया है, विशेषकर युवावस्था में तो आपका जीवन सूना है. समाज में सौहार्द, एकता और जागरूकता फैलाने में साहित्य के अहम योगदान की जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में साहित्य की महत्त्वपूर्ण भूमिका है.
कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर जयंत शेखर ने शिक्षकों और छात्रों की भूमिका पर आज के संदर्भ में प्रकाश डाला. वहीं उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ राजनारायण शुक्ल ने वेद और अभिज्ञान शाकुन्तलम् की पंक्तियां उद्धृत करते हुए कहा कि भारत का निर्माण हमारे ऋषियों, महर्षियों और सनातन पारंपरिक अवधारणाओं से हुआ है. डॉ प्रणव शास्त्री ने कहा कि हमें साहित्य के माध्यम से भारत का पुनर्निर्माण करना है. एबीएम कॉलेज की प्राचार्या सह संकाय अध्यक्ष कोल्हान विश्वविद्यालय डॉ मुदिता चंद्रा ने साहित्य की विविध विधाओं और साहित्य के इतिहास को महत्व प्रदान करते हुए कहा कि साहित्य ही वह शस्त्र है जिससे समाज और राष्ट्र को पुनर्निर्मित किया जा सकता है. सहायक प्रोफ़ेसर डॉ अरुण सज्जन ने बताया कि इस सेमिनार में साहित्य के माध्यम से भारत निर्माण का जो विषय दिया गया है वह निश्चित तौर पर शोध का विषय है. इस सेमिनार के जरिए जो निष्कर्ष निकलेगा उससे आधुनिक भारत के निर्माण में साहित्य की भूमिका सहायक साबित होगी. सेमिनार में डीबीएमएस कॉलेज ऑफ एजुकेशन एवं एबीएम कॉलेज के प्रधान अध्यापकों के अलावा साहित्य जगत से जुड़े कई विद्वानों ने शिरकत की. सत्र ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में आयोजित किया गया है. जिसमें देश के दूसरे शहरों के विद्वानों ने भी हिस्सा लिया. कार्यक्रम में डॉ जूही समर्पिता, मुदिता चन्द्रा, श्रीप्रिया धर्मराजन, बी चन्द्रशेखर समेत अन्य शिक्षक-शिक्षिकाएं समेत छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही. इस अवसर पर 'सम्मुनत भारत के निर्माण में साहित्य की भूमिका' पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया.