कांकेरः संत गुरु घासीदास की 265वीं जयंती के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर शासकीय कन्या महाविद्यालय में पदस्थ डॉ रामायण प्रसाद टंडन की ग्यारहवीं कृति राजा गुरु बालकदास खण्ड-काव्य का विमोचन भी संपन्न हुआ. डॉ टंडन वर्तमान में बस्तर विश्वविद्यालय में हिंदी अध्ययन मंडल के अध्यक्ष और शोध निर्देशक के रूप में कार्यरत है. आपके शोध निर्देशन में दो पीएचडी छात्रों को अवार्ड मिल चुका है. बस्तर विश्वविद्यालय से चार छात्र-छात्राएं पीएचडी कर रही हैं. पुस्तक विमोचन गुरु घासीदास साहित्य एवं सांस्कृतिक अकादमी न्यू राजेन्द्र नगर रायपुर छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष केपी खांडे और अकादमी के महासचिव डॉ जेआर सोनी ने किया. इस अवसर पर श्रम एवं नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. डॉ डहरिया एवं साहित्य अकादमी के पदाधिकारियों ने प्रो टंडन को सम्मानित भी किया. वक्ताओं ने कहा कि गुरु बालकदास पर यह पहला खण्ड काव्य है.

डॉ टण्डन की लिखी पुस्तकों में संत गुरु घासीदास की सतवाणी, भारतीय समाज में अंधविश्वास व नारी उत्पीड़न, समकालीन उपन्यासों में व्यक्त नारी यातना, समता की चाह, नारी और दलित साहित्य, दलित साहित्य समकालीन विमर्श, कथा-रस, दलित साहित्य समकालीन विमर्श का समीक्षात्मक विवेचन, हिंदी साहित्य के इतिहास का अनुसंधान परक अध्ययन, भारत भूमि में सतनाम आंदोलन की प्रासंगिकताः तब भी और अब भी (सत क्रांति के पुरोधा गुरु घासीदास जी व गुरु बालकदास जी), भारतीय साहित्य एक शोधात्मक अध्ययन, राजा गुरु बालकदास (खण्ड काव्य) प्रमुख है. इनमें से दो पुस्तकें एमए हिंदी एवं एमए हिंदी सेमेस्टर के पाठ्यक्रमों में भी शामिल की गई हैं. हिंदी साहित्य के इतिहास का अनुसंधान परक अध्ययन और भारतीय साहित्यः एक शोधात्मक अध्ययन शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर जगदलपुर के पाठ्यक्रम में शामिल है. संस्था प्रमुख डॉ चेतनराम पटेल सहित स्टाफ के सदस्यों और शोध छात्र-छात्राओं ने डॉ टंडन को बधाई दी है.