पटनाः मैला आंचल, परती परिकथा, तीसरी कसम उर्फ मारे गए गुलफाम जैसी कालजयी रचनाओं से हिंदी साहित्य के आकाश में धूमकेतु की तरह चमकने वाले रचनाकार को लेकर सरकारी लापरवाही चौंकाती है. रेणु स्मृति भवन की उपेक्षा, वादे के बावजूद उनके गांव को साहित्यिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित न कर पाने की प्रशासनिक लापरवाही और रेणु पर भारत सरकार द्वारा जारी डाक टिकट से संबंधित फाइल का केंद्रीय डाक विभाग के पास उपलब्ध न होना, ऐसे चौंकाने वाले तथ्य हैं, जिनकी चर्चा रेणु की जयंती पर उनके परिवारीजन और प्रशंसक कर रहे हैं. रेणु के बेटे दक्षिणेश्वर प्रसाद राय पप्पू तथ्यों के साथ यह बताते हैं कि प्रशासनिक स्तर पर सिर्फ घोषणाएं होती हैं, जमीनी स्तर पर उनका क्रियान्वयन नहीं होता. बिहार के आरटीआई एक्टिविस्ट अजय सिंह को मिली जानकारी भी चौंकाती है. अजय सिंह ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जून 2021 में फणीश्वर नाथ रेणु पर केंद्र सरकार द्वारा जारी डाक टिकट से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने की मांग की थी. उन्होंने यह भी जानना चाहा था कि जारी डाक टिकट अररिया और पूर्णिया सहित देश के विभिन्न डाक घरों में जनता के उपयोग के लिए उपलब्ध हैं या नहीं. साथ ही उन्होंने यह भी पूछा था कि सरकार ने अब तक किन-किन साहित्यकारों पर डाक टिकट जारी किया है.
केंद्रीय संचार मंत्रालय के अधीन डाक विभाग के डाक संग्रह डिवीजन ने जवाब में कहा कि रेणु पर जारी डाक टिकट से संबंधित संचिका उपलब्ध नहीं है या उसका अता पता नहीं है. आगे कहा गया कि रचनाकारों पर जारी डाक टिकट की सूची किसी मैटेरियल फॉर्म/दस्तावेज के रूप में उपलब्ध तो नहीं है अलबत्ता 1947 से लेकर जारी ऐसे सभी डाक टिकट विभाग के संबंधित वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. ऐसे डाक टिकट जारी करने और उनकी उपलब्धता को लेकर कुछ सामान्य जानकारियां भी मंत्रालय द्वारा दी गई. याद रहे कि वर्ष 2016 में भारत सरकार ने रेणु पर डाक टिकट जारी करने का निर्णय लिया था. तब डाक विभाग ने साहित्य अकादमी से रेणु की फोटो भी मांगी थी. अकादमी को भेजे पत्र में कहा गया था कि बिहार के विशिष्ट व्यक्तित्व केंद्रित विषय अंतर्गत मंत्रालय ने महान कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु पर डाक टिकट जारी करना चाहता है. इसीलिए फोटो की मांग की गई है. साहित्य अकादमी के पास डाक टिकट के लिए कोई उपयुक्त फोटो उपलब्ध नहीं रहने के कारण अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने 27 दिसंबर, 2016 को रेणु जी के पुत्र दक्षिणेश्वर राय को पत्र भेज कर डाक टिकट प्रकाशन के लिए उपयुक्त फोटो भेजने का अनुरोध किया था. वह फोटो भेजा भी गया और डाक टिकट जारी भी हुआ. पर अब उस डाक टिकट से संबंधित फाइल मंत्रालय के पास उपलब्ध नहीं है.