अंबिकापुर: तुलसी साहित्य समिति ने वसंत पंचमी और महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की जयंती पर स्थानीय विवेकानंद विद्या निकेतन में कवि गोष्ठी का आयोजन किया. अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार बंशीधर लाल ने की. मुख्य अतिथि डॉ सुधीर पाठक और विशिष्ट अतिथि अंजनी कुमार सिन्हा थे. गोष्ठी का आरंभ गीतकार रंजीत सारथी द्वारा मां सरस्वती की वंदना से हुआ. श्याम बिहारी पांडेय ने 'गीत तू ही हृदय का भाव है मां, तू हृदय-श्रृंगार है, तेरे ही वरदान से मां जग में कला विस्तार है' की सुंदर प्रस्तुति दी. समिति के संरक्षक सुरेश प्रसाद जायसवाल ने अपनी रचना सुनाकर खूब सराहना बटोरी. राजेश पांडेय ने दोहा 'प्रिय वसंत की पंचमी, मातु शारदे पास, नवल हृदय अभिलाषमय, भर जाता उल्लास' और वासंती गीत 'आइस वसंत, गइस वसंत, फूलिस-फलिस, छा गइस वसंत' सुनाकर समां बांध दिया. माधुरी जायसवाल, गीतकार पूनम दुबे एवं आशा पाण्डेय ने अपनी रचनाओं में वसंत ऋतु के उल्लास का वर्णन किया. डॉ सुधीर पाठक ने अपने गीत में वासंती नब्ज की सही पड़ताल की 'पतझड़ को हरित कर दे, ऋतुराज निराला है, जड़ में भी जीवन भरने, प्रकृति ने पाला है'.
इस अवसर पर महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की जयंती भी मनाई गई. निराला के महान व्यक्तित्व-कृतित्व को वरिष्ठ कवि बंशीधर लाल ने बखूबी रेखांकित किया. अंजनी कुमार सिन्हा ने भी गीत 'तन चंदन- जैसा था उसका, मन तो एक शिवाला था, धन के नाम अढ़ाई आखर, वो धनवान निराला था' की भावपूर्ण प्रस्तुति दी. मुकुंद लाल साहू ने निराला पर कुछ उम्दा दोहे सुनाए. इनके अलावा प्रताप पाण्डेय, अजय श्रीवास्तव, शशिकांत दुबे ने अपनी रचनाओं से गोष्ठी को नई ऊंचाइयां प्रदान की. गोष्ठी में अजय शुक्ल बाबा, जगतसिंह कलावट, डॉ उमेश पाण्डेय, अमरीश कश्यप, प्रकाश कश्यप, ओमप्रकाश दुबे और रीना सिन्हा ने भी रचना प्रस्तुत की. गोष्ठी का काव्यमय संचालन समिति के अध्यक्ष मुकुंद लाल साहू ने किया.