उदयपुरः नाट्य संस्था 'नाट्यांश सोसायटी ऑफ ड्रामेटिक एण्ड परर्फोमिंग आर्ट्स' की ओर से 9 दिवसीय शीतकालीन नाट्य कार्यशाला का समापन हो गया है. इस अवसर पर भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित 'अंधेर नगरी-चौपट राजा' और एंतोन चेखव द्वारा लिखित नाटक 'पैगाम' का मंचन किया गया. खड़ी बोली में नाटक लेखन की परंपरा शुरू करने का श्रेय भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को ही जाता है. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे. भारतेन्दु के वृहत साहित्यिक योगदान के कारण ही 1857 से 1900 तक के काल को भारतेन्दु युग के नाम से जाना जाता है.
इसी तरह चेखव संसार के श्रेष्ठ कथाकारों में से हैं. उन्होंने अपनी कला को चमत्कारी बनाने के लिए न तो अनोखी घटनाएं ढूंढी हैं, न अनूठे पात्रों की सृष्टि की है. उनके पात्र ऐसे हैं, जिनसे अपने नित्य प्रति के जीवन में हम अकसर मिलते हैं. खासतौर से उच्च वर्गों के आडंबरपूर्ण जीवन में, उनके बनावटी शिष्टाचार के नीचे मानव-हृदय को घुटते-कराहते देखा है. उनका तीखा व्यंग्य इस संस्कृति की हृदयहीनता को नश्तर की तरह चीरता चला जाता है. दु:खी लोगों के लिए उनके हृदय में करुणा है, व्यंग्य का नश्तर उनके लिए नहीं है. इन दोनों नाटकों को कार्यशाला के प्रतिभागियों ने तैयार किया है. कार्यशाला के समापन पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए.