नई दिल्लीः देश की प्रमुख साहित्यिक संस्था साहित्य अकादमी स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे अमृत महोत्सव श्रृंखला के अंतर्गत संत कवि माधव देव पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर रही है. संत माधव देव एकशरण धर्म के एक महत्वपूर्ण उपदेशक थे, जो अपने गुरु, शंकरदेव के प्रति निष्ठा के साथ-साथ अपनी कलात्मक प्रतिभा के लिए भी जाने जाते हैं. वह एक संत संगीतकार, कवि, नाटककार और विद्वान थे. वह एक धार्मिक सुधारक और असम में वैष्णव धर्म के महान प्रचारक थे. उनकी आयोजन क्षमता, दूरदर्शिता और अनुकरणीय आचरण असम के लोगों के लिए प्रेरणादायक रहा है. माधवदेव के गीत चार शताब्दियों से अधिक समय से संतप्त हृदयों के लिए सांत्वना का स्रोत बने हुए हैं. उनके नाटकों ने आम जन और प्रबुद्ध दोनों वर्गों  को शिक्षा और संतुष्टि प्रदान की.
साहित्य अकादमी की विज्ञ्प्ति के अनुसार संत कवि माधवदेव पर आयोजित की जा रही यह राष्ट्रीय संगोष्ठी 26 -27 नवंबर को अकादमी के तृतीय तल स्थित सम्मेलन कक्ष रवींद्र भवन फीरोजशाह मार्ग में प्रात: 10 बजे से शुरू होगी. इस संगोष्ठी में देश भर से प्रतिष्ठित लेखक और विद्वान जुटेंगे, जिनमें ध्रुबज्योति बोरा, मालिनी गोस्वामी, कार्बी  डेका हाजरिका, मुकुंदकाम शर्मा, प्रदीप ज्योति महंत, अर्शिया सेठी, हिरण्य दास, रत्नुत्तमा दास आदि सहभागिता कर रहे हैं. संगोष्ठी के दौरान, कुछ महत्त्वपूर्ण विषयों जैसे 'माधवदेव और उनका समय : एक समर्पित अनुकरणीय जीवन', 'सौंदर्यप्रेमी,रचनाकार तथा दार्शनिक',  'पूर्णपुष्पित भक्ति : माधवदेव के नाटक तथा नृत्य' आदि पर चर्चा की जाएगी.