नई दिल्लीः साहित्य अकादमी ने राष्ट्रीय पुस्तक सप्ताह के अवसर पर पुस्तक प्रदर्शनी लगाई, जिसका उद्घाटन प्रख्यात कवि एवं लेखक सुरेश ऋतुपर्ण ने किया. राजधानी में अकादमी के मुख्यालय रवींद्र भवन के प्रथम तल पर आयोजित इस प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए ऋतुपर्ण ने कहा कि दिन पर दिन पढ़ने की रुचि घटती जा रही है, जिसके अन्य कारणों में से एक कारण अच्छी पुस्तकें उपलब्ध न हो पाना भी है. किताबें जिंदगी बदलती है. इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मॉरीशस में गए गिरमिटिया मजदूरों ने 'रामचरित मानस' के कारण ही विभिन्न कष्टों को सह पाने की क्षमता पाई और अपनी संस्कृति को बचाए रखने में सहायता की. हमें किताबों की ताकत को पहचानना चाहिए. साहित्य अकादमी देशभर में कम कीमत में अच्छी पुस्तकें छापने के लिए विख्यात है. मैं पुस्तक प्रेमियों से अपील करूंगा कि अधिक से अधिक संख्या में आकर इस प्रदर्शनी का लाभ उठाएं.
इस अवसर पर साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि किसी भी महत्त्वपूर्ण और सफल व्यक्ति के जीवन में महत्त्वपूर्ण किताबों का हाथ अवश्य होता है. वह जीवन दिशा को निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है. साहित्य अकादमी का लक्ष्य ही 24 भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्य उपलब्ध कराने का है. कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने सभी का स्वागत करते हुए साहित्य अकादमी द्वारा पिछले वर्ष प्रकाशित महत्त्वपूर्ण पुस्तकों की जानकारी दी. इस अवसर पर हैम्बर्ग विश्वविद्यालय के प्रो. बहादुर सिंह, हिंदू कॉलेज के प्रो. अशोक मित्तल एवं फिल्म निर्देशक दिनेश लखनपाल भी उपस्थित थे. यह पुस्तक प्रदर्शनी 22 नवंबर तक प्रतिदिन पूर्वाह्न 10.00 बजे से सायं 6.00 बजे तक खुली रहेगी. राष्ट्रीय पुस्तक सप्ताह के दौरान साहित्य अकादमी कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है, जिसके अंतर्गत साहित्य मंच कार्यक्रम रचना-पाठ में संगीता गुप्ता, नंदिनी साहू एवं कुंतला सेनगुप्ता, पठन-पाठन की रुचि: नई दिशाएं विषयक ऑनलाइन परिसंवाद में अनंत विजय, संजय द्विवेदी, पंकज चतुर्वेदी, राजेश कुमार व्यास, बालेंदु शर्मा 'दाधीच', सुशील शुक्ल आदि वक्ता भाग लेंगे.