नई दिल्लीः प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी के निधन के बाद उन्हें याद करने का सिलसिला सतत जारी है. हिंदी में लंबे समय बाद किसी साहित्यकार के न होने पर हर आयु वर्ग के लोगों में इस कदर किसी साहित्यकार के प्रति अनुराग दिख रहा है. साहित्य अकादमी ने प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि नई कहानी आंदोलन की प्रमुख स्तंभ रहीं मन्नू भंडारी महिलाओं के संघर्षों को प्रस्तुत करने वाली बड़ी लेखिका थीं. उनकी रचनाओं में हम स्त्री-पुरुष के बदलते संबंध और बदलते शहरी भारत में टूटते बिखरते दाम्पत्य जीवन की त्रासदियों को महसूस कर सकते हैं. आगे उन्होंने कहा कि उनके निधन से साहित्य में आधी दुनिया का प्रतिनिधित्व करने वाली सशक्त आवाज़ हमारे बीच नहीं रही है. वरिष्ठ कथाकार चित्रा मुद्गल ने भंडारी के साथ अपनी स्मृतियों को सहेजते हुए कहा कि वे अपने विवाह के तुरंत बाद उनसे मिली थीं और उनके साथ की ढेरों स्मृतियां हैं. मैत्रेयी पुष्पा, चंद्रकांता, सूर्यबाला, सुधा अरोड़ा आदि ने भी अपने अपने ढंग से उन्हें याद किया.
ज्ञात हो कि मन्नू भंडारी का निधन 15 नवंबर 2021 को हो गया था. 'आपका बंटी', 'महाभोज' एवं 'एक कहानी यह भी' आदि जैसी चर्चित कृतियों की लेखिका मन्नू भंडारी के प्रसिद्ध उपन्यास 'यही सच है' को लेकर ही 'रजनीगंधा' फिल्म का निर्माण किया गया था. उन्होंने चर्चित धारावाहिक 'रजनी' की पटकथा भी लिखी थी. साहित्य अकादमी ने उन पर एक 30 मिनट के वृत्तचित्र का निर्माण भी किया है, जिसे अरुण कौल ने निर्देशित किया था. अस्वस्थता की स्थिति में भी उन्होंने साहित्योत्सव 2020 की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था और काफी समय साहित्य अकादमी के परिसर में साहित्यकारों एवं पाठकों के बीच रही थीं, यह उनका साहित्य और साहित्यकारों से अगाध प्रेम ही था. साहित्य अकादमी ऐसी प्रसिद्ध लेखिका एवं विदुषी के निधन पर अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती है.