सुल्तानपुर: संजीव अमृत महोत्सव समिति एवं सृजन पीठ साहित्यिक संस्था के संयोजन में स्थानीय जिला पंचायत सभागार आयोजित समारोह में प्रख्यात कथाकार संजीव का अभिनंदन किया गया. इस अवसर पर उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि उन्होंने अपनी कहानियों व उपन्यासों के जरिए सामाजिक बुराइयों पर जोरदार प्रहार किया है. वे प्रेमचंद की परंपरा का महत्त्वपूर्ण कथाकार हैं. पहले सत्र में कार्यक्रम का संचालन कवि डॉ डीएम मिश्र ने किया और कथाकार संजीव के व्यक्तित्व व कृतित्व पर संक्षिप्त चर्चा की. उन्होंने कहा कि संजीव समाज सुधार के प्रति अपनी कहानियों में चिंतित नजर आते हैं. उनकी कहानियां जनपीड़ा और सामाजिक कुरीतियों को सामने लाती हैं. बस्ती से आए कवि अष्टभुजा शुक्ल के मुख्य आतिथ्य व रांची के प्रख्यात आलोचक रवि भूषण की अध्यक्षता में साहित्यकारों ने संजीव के साहित्य पर चर्चा की. दूसरे सत्र में साहित्य विमर्श कार्यक्रम हुआ. युग तेवर पत्रिका के संपादक कमल नयन पांडेय ने कहा कि संजीव एक खोजी प्रवृत्ति के पत्रकार सरीखे हैं. वह आत्म स्थापना की कुंठा से मुक्त हैं. रवि भूषण ने कहा कि वह पीड़ा व बेचैनी के कथाकार हैं. उन्हें भारतीय कथाकार कहा जाना चाहिए. साहित्यकार सत्य का संरक्षक होता है और यह समय झूठ का है. इसी के विरुद्ध रचनाकार अपनी कलम चलाता है. संजीव इसमें पारंगत हैं.
वक्ताओं का कहना था कि संजीव ने स्थानीयता को वैश्विक स्तर का बना दिया है. इनकी कहानियां जीवन का आख्यान हैं, लेकिन पूर्णकालिक हैं. कथाकार शिवमूर्ति ने कहा कि संजीव ने वंचित तबके के नायकों को अपनी रचनाओं का विषय बनाया. लखनऊ के आलोचक वीरेंद्र यादव ने कहा कि संजीव ने प्रेमचंद की परंपरा का अतिक्रमण भी किया है और विस्तार भी. तद्भव पत्रिका के संपादक अखिलेश ने कहा कि असहमति के विरुद्ध लिखना ही उनके लेखन का प्रस्थान बिन्दु है. उन्होंने अपराध कहानी का जिक्र किया, कहा कि इस एक कहानी ने संजीव को रातोंरात कथा साहित्य का हीरो बना दिया था. केएनआइ के प्राचार्य डॉ राधेश्याम सिंह ने कहा कि ऐसे साहित्यिक नायक का जनपद में अभिनंदन करना गर्व का विषय है. मुरादाबाद के उर्दू कथाकार नदीम राइनी, इलाहाबाद के कवि हरेंद्र मौर्य, डॉ सुशील कुमार पांडेय साहित्येंदु, सूर्यदीन यादव, बस्ती के आलोचक रघुवंशमणि, राकेश, आशाराम जागरथ, डॉ आद्या प्रसाद प्रदीप, डॉ ओंकारनाथ द्विवेदी, डॉ मन्नान सुल्तानपुरी, प्रेमपुष्प मिश्र, सोमेश शेखर, हरिलाल शुक्ल, वाईपी शाही, श्यामनारायण श्रीवास्तव, परवेज कलीम आदि साहित्यकार उपस्थिति रहे. इस अवसर पर आसनसोल के कथाकार शिवकुमार यादव के कहानी संग्रह 'भूर-भू-स्वाहा' का विमोचन भी किया गया.