रायबरेली: अमेरिका में प्रवासी भारतीय मंजु मिश्रा को अमेरिका में 'लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित किया है. लखनऊ निवासी मंजु मिश्रा दो दशक से भी अधिक समय से अमेरिका के कैलिफोर्निया में रह रही हैं. वर्ष 2011 में उन्होंने कुछ मित्रों के साथ मिलकर विश्व हिंदी ज्योति नामक संस्था की शुरुआत की. यह संस्था अमेरिका में प्रवासी भारतीयों के बच्चों के अलावा स्थानीय नागरिकों को हिंदी सिखाने का काम करती है. वे आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति की अमेरिकी इकाई की अध्यक्ष भी हैं. उनकी संस्था द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले हिंदी संवर्धन कार्यक्रमों में भारतीय काउंसलेट भी सहयोग करता है. हिंदी की उल्लेखनीय सेवा के लिए आपको वर्ष 2014 में विश्व हिंदी सेवा सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है. उनका सपना है कि अमेरिकी स्कूलों में विदेशी भाषा के रूप में हिंदी भी छात्रों के लिए एक विकल्प हो.
मिश्रा उत्तर प्रदेश मंडल ऑफ अमेरिका 'उपमा' और सैन फ्रांसिस्को बे एरिया में घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए काम कर रही संस्था 'नारिका' की बोर्ड मेंबर हैं. प्रवासी भारतीय नीलू गुप्ता द्वारा द्वारा गठित उपमा, उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बच्चों की पढ़ाई और जरूरतमंदों की आर्थिक मदद सुनिश्चित करती है. इस संस्था के प्रोजेक्ट बुंदेलखंड के चित्रकूट एवं निसवारा में संचालित हो रहे हैं. एक प्रोजेक्ट फ़रीदाबाद- हरियाणा के साईधाम में भी चल रहा है. कोरोना संकट के दौरान उन्होंने देश के कई इलाकों में कोरोना पीड़ितों की मदद की. उनका एक काव्य संग्रह 'जिंदगी यूं तो' नाम से प्रकाशित हो चुका है. मिश्रा के सम्मानित होने पर आचार्य द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति की भारत इकाई एवं हिंदी प्रेमियों ने खुशी का इजहार करते हुए बधाई दी है. समिति से जुड़े गौरव अवस्थी 'आशीष' का कहना है कि सात समंदर पार मातृभाषा हिंदी को पुष्पित पल्लवित करना एक सच्ची राष्ट्र सेवा और राष्ट्रीय धर्म है, जिसका मिश्रा निर्वहन कर रही हैं.