जागरण संवाददाता, वाराणसी : हिंदी के उत्थान के लिए समर्पित नागरी प्रचारिणी सभा में लोकतंत्र बहाल होने जा रहा है। इसके प्रबंध समिति विवाद को खत्म करते हुए उप जिलाधिकारी (सदर) प्रमोद कुमार पांडेय ने चुनाव कराने का सोसाइटी एवं चिटफंड के सहायक निबंधक को आदेश दिया है। उप जिलाधिकारी ने प्रबंध समिति के वर्ष 2004 से 2007 के साधारण सभा के सदस्यों की सूची के आधार पर चुनाव कराने को कहा है।

प्रकरण के मुताबिक नागरी प्रचारिणी सभा के निर्वाचित प्रधानमंत्री सुधाकर पांडेय का 18 अप्रैल 2003 को निधन हो गया था। तत्पश्चात उनके पुत्र डा. पदमाकर पांडेय शेष कार्यकाल के लिए संस्था के प्रधानमंत्री मनोनीत किए गए। नौ जनवरी 2004 के चुनाव में तीन साल के लिए प्रबंध समिति का गठन किया गया जिसका कार्यकाल जनवरी 2007 में समाप्त होना था। आरोप है कि नियमावली के अनुसार जनवरी 2007 में प्रबंध समिति का चुनाव कराया जाना चाहिए था, लेकिन डा. पद्माकर पांडेय द्वारा निर्धारित समयावधि में चुनाव नहीं कराया गया।
नियमावली के अनुसार संस्था के प्रधानमंत्री का काशीस्थ होना अनिवार्य शर्त थी लेकिन दिल्ली में रह रहे पद्माकर पांडेय संस्था के  प्रधानमंत्री बन गए। प्रबंध समिति चुनाव संबंधित विवाद को लेकर संस्था के पदाधिकारियों ने फर्म्स सोसाइटी एवं चिट्स कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। संस्था के प्रबंध समिति संबंधित विवाद एवं संस्था की गतिविधियों से संबंधित विभिन्न शिकायतों के प्रकरण का निस्तारण करते हुए सहायक निबंधक ने 13 अक्टूबर 2010  को संस्था के समस्त मूल अभिलेखों को कार्यालय में जमा करने एवं प्रबंध समिति को पूर्ण कर वार्षिक अधिवेशन द्वारा एक तिहाई सदस्यों का चुनाव कराने का आदेश दिया था। बाद में शोभनाथ यादव एवं डा. पदमाकर पांडेय द्वारा स्वयं को संस्था का प्रधानमंत्री दर्शाते हुए नवगठित प्रबंध समिति को मान्यता देने की मांग की गई। दो समानांतर प्रबंध समिति द्वारा दावेदारी पेश करने से संस्था में प्रबंधकीय विवाद उत्पन्न हो गया। इस पर सहायक निबंधक द्वारा इस प्रकरण को वर्ष 2015 में उप जिलाधिकारी न्यायालय को भेज दिया।

सुनवाई के दौरान दो जनवरी 2021 को डा. पदमाकर पांडेय का निधन हो गया। तत्पश्चात उनके छोटे भाई डा. कुसुमाकर पांडेय उनकी जगह प्रतिनिधित्व करने लगे। उपजिलाधिकारी के न्यायालय में सुनवाई के दौरान शोभनाथ यादव और डा. पदमाकर पांडेय की ओर से एक-दूसरे की वैधानिकता को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए और अपने-अपने दावों के समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत किए।  उपजिलाधिकारी ने शोभनाथ यादव और स्व. डा. पदमाकर पांडेय की ओर से प्रस्तुत दो समानांतर प्रबंध समितियों की सूची में विरोधाभास पाया एवं कालातीत होने के फलस्वरूप इन्हेंं स्वीकार योग्य नहीं माना। आपत्तियों के बलहीन होने के कारण प्रबंध समिति का चुनाव कराने का आदेश जारी कर दिया।