बांका: जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन का 45वां वार्षिक महोत्सव संरक्षक शंकर दास की उपस्थिति एवं अध्यक्ष डा अचल भारती की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महात्मा गांधी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व कुलपति डा मनोज कुमार थे तथा विशिष्ट अतिथि अनिरुद्ध प्रसाद विमल, उमाकांत भारती, डा अश्विनी और डा विप्लव थे. उद्घाटन सत्र, लोकार्पण एवं सम्मान समारोह का संचालन उदयेश रवि ने किया जबकि कवि-सम्मेलन सत्र का संचालन सुजीत कुमार संगम और विकास सिंह गुलाटी ने किया. दीप-प्रज्ज्वलन के साथ सम्मेलन का आरंभ हुआ. इस अवसर पर एक आकर्षक और रंगीन स्मारिका ‘बांका-45′ का विमोचन मंचीय विद्वानों द्वारा किया गया. इनके अलावा अनिरुद्ध प्रसाद विमल के अंगिका बाल उपन्यास ‘चान्दन वन में राकस‘, समीर सिंह राठौड़ के कविता-संग्रह ‘काव्य-तृषा‘, डा अमरेंद्र सुमन के कविता-संग्रह ‘अंतिम खत पिता का‘ का भी विमोचन किया गया.
इस अवसर पर कई साहित्य सम्मान भी दिए गए, जिनमें डा अनिरुद्ध प्रसाद विमल को ‘वृंदा-उपेन्द्र साहित्य रत्न‘, उमाकांत भारती को ‘वृंदा-उपेन्द्र कथा रत्न‘ एवं डा श्वेता को ‘वृंदा-उपेन्द्र सम्पादक श्री‘ सम्मान प्रदान किया गया. अलंकरण सम्मान में पवन बांके बिहारी को ‘हास्य सम्राट‘, उमाशंकर राव ‘उरेन्दु‘, डा सुजाता कुमारी, नन्दलाल सारस्वत एवं मनोज मिश्र को ‘साहित्य रत्न‘ तथा डा अमरेन्द्र सुमन, लिटिल विश्वास एवं प्रमोद फितरत को ‘साहित्य कुल गौरव‘ का सम्मान दिया गया. डा विप्लव, मनोरंजन सिन्हा एवं मुख्य अतिथि डा मनोज को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया. काव्यांजलि सत्र में काव्य-पाठ का लंबा दौर चला. जिसमें डा अश्विनी, पवन बांके बिहारी, उमाशंकर राव उरेन्दु, लिटिल विश्वास, अनिरुद्ध प्रसाद विमल, मनोज मिश्र, डा विप्लव, कृष्ण कुमार केशव, अम्बिका झा हनुमान, विकास सिंह गुलाटी, समीर सिंह राठौड़, राजीव रंजन सिन्हा, अमित कुमार राय, सरयुग सौम्य, प्रमोद कुमार फितरत, डा अली इमाम, अनिल विकल, डा मिसम रिजवी, रामजी चंद्र, नीरज सिंह, भोला सिंह पुष्कर, लक्ष्मण मंडल, अशोक आत्मदर्शी, डा रश्मि कुमारी, जय कृष्ण पासवान, अरुण कुमार सिन्हा, राजीव रंजन, टाफी आनन्द, बासुकी प्रसाद भगत, सोमकृष्ण, नितेश कुमार, संजीव कुमार शर्मा, नूतन सिन्हा, डा चंदन मधुकर, अभिषेक पाण्डेय, विकास कुमार आर्य, सत्यनारायण पंडित, राजकिशोर, प्रभाकर आदि