जमशेदपुर: साकची स्थित टैगोर सोसाइटी के तत्वावधान में रबीन्द्र भवन परिसर में लगा 37वां जमशेदपुर पुस्तक मेला छात्रों और पुस्तक प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस मेले का उद्घाटन जमशेदपुर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने दीप प्रज्वलित कर किया. इस अवसर पर टैगोर आर्ट स्कूल के छात्र-छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए. मुख्य अतिथि एवं समिति के पदाधिकारियों ने गुब्बारे उड़ा कर मेले का शुभारंभ किया. इसके बाद छात्र-छात्राओं, साहित्यप्रेमियों, लेखक, कवियों और पाठकों की भीड़ उमड़ पड़ी. मेले में बहुभाषीय साहित्यिक संस्था ‘सहयोग‘ के स्टाल पर शहर के रचनाकारों को जगह मिली है. वसंत जमशेदपुरपुरी की ‘ससुराला‘, अन्नी अमृता की ‘ए क्या है‘ और ‘मैं इंदिरा बनना चाहती हूं‘, डा संध्या सिन्हा की ‘बोलने दो‘, चंद्रा शरण की ‘मां पापा हम भी आपकी ही संतान हैं‘, माधुरी मिश्रा की ‘आंचल की छांव‘ और अन्य रचनाकारों की किताबें आकर्षक का केंद्र बनी हुई हैं. सहयोग की संस्थापिका डा जूही समर्पिता और वर्तमान अध्यक्ष डा मुदिता चंद्रा ने शहर के नए लेखकों के उत्साहवर्द्धन की काफी कोशिशें की हैं.
पुस्तक मेले के दौरान छात्रों में नए लेखकों की पुस्तकें देखने को लेकर काफी रुचि नजर आ रही थी. साथ ही वे शिक्षण से संबंधित पुस्तकें खोज रहे थे, जिनमें उच्च शिक्षा से संबंधित किताबें, इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा, मेडिकल प्रवेश परीक्षा की पुस्तकों की खूब मांग थी. प्रतियोगी और अन्य परीक्षाओं की तैयारी के लिए झारखंड का इतिहास, जेएसएससी सीजीएल की किताबें भी छात्रों की प्राथमिकता सूची में थी. जेपीएससी प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के लिए भी किताबों के अलावा मां के लिए, छोटी बहनों के लिए तो बच्चों के लिए भी खरीदारी हुई. चार्ट पेपर और भारत का मानचित्र भी खरीदा गया. कई महाविद्यालयों ने पुस्तक मेले के शैक्षणिक भ्रमण की भी व्यवस्था की है. मेले में दिल्ली, कोलकाता, पटना, मुंबई आदि शहरों के साथ प्रकाशकों की हिंदी, बांग्ला, इंग्लिश, उर्दू, सहित स्थानीय भाषाओं जैसे संथाली, हो, कुरमाली के साहित्य से संबंधित पुस्तकें भी उपलब्ध हैं. उमेद धार्मिक आध्यात्मिक, विभिन्न पाठ्यक्रम समेत बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की रुचि के अनुसार तथा फिक्शन, नान फिक्शन समेत सभी प्रकार की किताबें उपलब्ध हैं. इस वर्ष पुस्तक मेले में 67 स्टाल लगाए गए हैं.