दरभंगा: जनकवि बाबा नागार्जुन और मैथिली साहित्य में यात्री के नाम से विख्यात साहित्यकार की 21वीं पुण्यतिथि बिहार के उनके पैतृक गांव तरौनी, दरभंगा शहर और भागलपुर में अलग-अलग मनाई गई. जहां पैतृक गांव तरौनी में सरकार द्वारा घोषित प्रखंड के नामकरण को लेकर लोगों ने चर्चा की. दरभंगा में मिथिला विकास मंच के तत्वावधान में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के केन्द्रीय पुस्तकालय के प्रांगण में अवस्थित प्रतिमा पर माल्यार्पण के पश्चात सरफराज अनवर की अध्यक्षता में संकल्प सभा का आयोजन किया गया. इस मौके पर पूर्व महासचिव सुजीत कुमार आचार्य ने कहा कि बाबा नागार्जुन अपनी रचनाओं में मानव जीवन के सच को निर्भीकतापूर्वक चित्रण करते थे. इस क्रम में वह सत्ता और विपक्ष की परवाह नहीं करते थे.
बाबा नागार्जुन को प्रतिरोध की संस्कृति का कवि बताते हुए मृत्युंजय मृणाल ने कहा कि उनकी रचनायें हमेशा शोषित, पीड़ित मानवता का मार्गदर्शन करती रही हैं. इस मौके पर आनन्द ठाकुर, विकास आनन्द मोनू, चन्द्रशेखर झा, अजय कुमार झा, दीपक मंडल आदि ने विचार रखे. भागलपुर में भी साहित्य सफर संस्था ने स्थानीय प्रगति शिक्षण संस्थान मंदरोजा में जनकवि बाबा नागार्जुन की 21वीं पुण्यतिथि मनाई. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि केदारनाथ शर्मा ने की. इस अवसर पर  बाबा के चित्र पर पुष्प अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई. मौके पर जगतराम साह कर्णपुरी ने बाबा के जीवन चरित्र व रचनाओं पर विस्तार से बात रखी. मुख्य अतिथि कवि मुरलीधर वियोगी ने कहा कि जनकवि बाबा नागार्जुन की कई रचनाएं काफी चर्चित रही हैं. इस दौरान नवल कुमार, प्रेम कुमार, बनारसी प्रसाद सहित कई साहित्यकार, कवि और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.