दिल्ली: बिहार में जन्मी अमेरिकी कलाकार आनंदिता दत्त को दिसंबर 2020 में बोधगया में होनेवाले 'बोधगया बिनाले' के तृतीय संस्करण का क्यूरेटर नामित किया गया है। बिनाले के संरक्षक और बिहार के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी चंचल कुमार ने दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में देश के जाने-माने कलाकारों में शुमार गोगी सरोज पाल, सीमा कोहली, अशोक भौमिक, विनय शर्मा, आरती झावेरी और ख्यातिलब्ध भारतनाट्यम नृत्यांगना प्रिया वेंकटरमन की मौजूदगी में आनंदिता दत्त के नाम की घोषणा की।
बोधगया बिनाले आयोजन समिति ने क्यूरेटर के चुनाव के लिए एक चयन समिति बनायी थी जिसमें देश के वरिष्ठ मूर्तिकार बालन नांबियार, बिनाले के संरक्षक चंचल कुमार और दिल्ली की वरिष्ठ कलाकार सीमा कोहली शामिल थी। आनंदिता दत्त जापान के फुकुओका एशियन आर्ट म्यूजियम आर्टिस्ट रेजिडेंसी ग्रांट, द पोलक-क्रासनर फाउंडेशन ग्रांट, यूनेस्को-आस्चबर्ग फेलोशिप, फ्रांक के कामाक रेजिडेंसी ग्रांट से सम्मानित कलाकार है जिनकी कलाकृतियों की प्रदर्शनी चीन, जापान, अमेरिका, फ्रांस समेत कई देशों में लगायी जा चुकी है ।
बतौर बोधगया बिनाले क्यूरेटर अपने नाम की घोषण के बाद आनंदिता दत्त ने कहा कि बिहार में पली-बड़ी होने के कारण उनके लिए यह दायित्व विशेष महत्व रखता है। 1994 में कलाकर्म के लिए बिहार से बाहर निकलने के बाद यह पहला मौका है जब वह अपने राज्य के सबसे बड़े कला आयोजन बोधगया बिनाले में सक्रिय भूमिका निभाएंगी।
इस मौके पर चंचल कुमार ने कहा कि 2015 में बिना किसी सरकारी सहायता के कुछ कलाकारों और कला प्रेमियों ने मिलकर बिहार में बोधगया बिनाले का सपना देखा, उसे पूरा करने की कोशिश की है। अब उस सपने को बड़ा करना चाहते हैं और क्यूरेटर के नाम की घोषणा उसी का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि देशभर के लोगों ने ना केवल बोधगया बिनाले को सराहा है बल्कि उसे प्रोत्साहित भी किया है। चंचल कुमार ने कहा कि कला और साहित्य को शासन को भी प्रोत्साहित करना चाहिए।
क्यूरेटर के नाम की घोषणा से पूर्व बोधगया बिनाले की बोर्ड मेंबर प्रिया बेंकटरमन में बिनाले का संक्षिप्त परिचय दिया। प्रिया वेकटरमण बिनाले के पहले संस्करण में विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित थी। अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि एक छोटी से टीम चाहे तो किस तरह से वृहद उद्देश्यों को भी साध सकती है यह बोधगया बिनाले के रूप में देखा जा सकता है। बोधगया बिनाले के डायरेक्टर विनय कुमार ने बिनाले के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए कहा कि “इसके जरिए हम कला और जीवन के बीच की परतों को खोलना चाहते थे क्योंकि कला के बगैर जीवन संभव नहीं है और जीवन के बगैर कला संभव नहीं है”। उन्होंने कहा कि बोधगया बिनाले सिर्फ एक कला प्रदर्शनी नहीं है बल्कि इसे जीवन को बेहतर बनाने के बड़े उद्देश्य की तरफ अपने योगदान के रूप में देखा जाना चाहिए।