नई दिल्लीः गांधी शांति प्रतिष्ठान में सन 1942 में गाजीपुर के मोहम्दाबाद में शहीद हुए 8 अमर शहीदों की स्मृति में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम गौरव संस्थान बिहार के संस्थापक और पूर्व विधायक डॉ स्वामीनाथ तिवारी ने किया. इलाहाबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता अवधेश राय ने शेरपुर के बलिदानियों की गाथा को विस्तृत रूप दिया. विषय प्रवेश करते हुए वाराणसी के पत्रकार अजय राय ने अगस्त क्रांति के कारणों और उसके व्यापक प्रभाव की चर्चा करते 1857 की विफलता और 1942 की सफलता की बारीकियों की तरफ ध्यान आकृष्ट किया. काशी विद्यापीठ के प्रो सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि इस घटना के साथ इतिहास ने न्याय नहीं किया. आज इतिहास के पुर्नलेखन की जरूरत है. हम अपने बुजुर्गों की शहादत को यू ही नहीं मिटने देंगे.महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्विद्यालय वर्धा के पूर्व कुलपति विभूति नारायण राय ने आज़ादी के आंदोलन को समावेशी बताते हुए इतिहास दृष्टि को साफ रखने की हिमायत किया. राय की बात का जवाब देते हुए हिंदुस्तानी अकादमी प्रयाग के अध्यक्ष डॉ उदय प्रताप सिंह ने कहा कि हमें अपना इतिहास तब तक सांप्रदायिक और बौना लगता है, जब तक हम उसे दूसरे के चश्मे से देखते हैं. हमें अपनी भावी पीढ़ी को अपने पूर्वजों का इतिहास लिखने के लिए प्रेरित करना चाहिए. उदय प्रताप सिंह ने एक प्रस्ताव देते हुए कहा कि यदि यह आयोजन समिति गाज़ीपुर के शहीदों का इतिहास लेखन करेगी तो हिंदुस्तानी अकादमी उसे प्रकाशित करेगी.
भारतीय भाषा केंद्र जेएनयू के अध्यक्ष प्रो ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि 'फक्र तो होता है पर दर्द भी देता है वो मंज़र.' प्रो सिंह ने 1942 के आंदोलन पर व्यापक चर्चा करते हुए कहा कि डॉ शिवपूजन राय की दो पीढ़ियों को हम देख रहे हैं, इसलिए इतिहास लेखन संभव है. उन्होंने विवेकी राय और अमरकांत के उपन्यास श्वेतपत्र और इन्हीं हथियारों से का हवाला देते हुए विषय को गति प्रदान की. सभा की अध्यक्षता कर रहे डॉ स्वामीनाथ तिवारी ने 500 वर्षों के इतिहास और आंदोलन की विशद व्याख्या की और कहा कि जननी जन्मभूमि का भाव हर भारतीय में प्रबल होता है. डॉ तिवारी ने दिनकर की परशुराम की प्रतीक्षा में घायल सैनिक का उदाहरण देते हुए सत्ता प्रतिष्ठान को भी चेतावनी दी कि शहीदों के अरमानों को पूरा नहीं किया गया तो स्वदेश अपने ही घर में हार जाएगा. मंच का संचालन जेएनयू के शोधार्थी सूर्यभान राय ने किया. स्वागत भाषण आयोजन समिति के प्रमुख डॉ गोपालजी राय और धन्यवाद ज्ञापन राजीव रंजन राय ने किया. कार्यक्रम में तेज बारिश के बावजूद भी जेएनयू, डीयू और अन्य विश्वविद्यालयों के सैकड़ों शोधार्थी समेत शहीद परिवारों के परिजन भी मौजूद थे.