दमोह: दमोह जिले 1857 क्रांति के नायक रहे, अंग्रेजों से लोहा मनवाने वाले, 1000 रुपए के जिंदा या मुर्दा पकड़ने के इनामी, दमोह जिले की हिंडोरिया रियासत के वीर क्रांतिकारी राजा किशोर सिंह के जीवन पर चन्द्रभान सिंह लोधी द्वारा लिखित ‘शेर-ए-बुंदेलखंड‘ राजा किशोर सिंह नामक पुस्तक का प्रदेश के मुख्यमंत्री डा मोहन यादव, राज्यमंत्री लखन पटेल एवं ब्रजेश राजपूत ने किया. राजा किशोर सिंह 1857 क्रांति के महानायक रहे थे. राजा किशोर सिंह का बुंदेलखंड की क्रांति में अहम योगदान दिया था. राजा इतने बड़े योद्धा थे कि अंग्रेजी हुकूमत के बड़े-बड़े आला अधिकारी भी मुकाबला करने से डरते थे. राजा ने अपनी सेना की दम पर दमोह को 6 महीने तक आजाद करके रखा था. राजा किशोर सिंह ने अंग्रेजों से कई युद्ध लड़े लेकिन अपनों की धोखेबाजी के कारण राजा को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया और बाद में इन्हें फांसी पर चढ़ा दिया. राजा के जीवन चरित्र पर यह पहली पुस्तक है. ‘शेर-ए-बुंदेलखंड‘ पुस्तक का विमोचन राजा किशोर सिंह की पुण्यतिथि पर हुआ.
पुस्तक के लेखक कवि चंद्रभान सिंह लोधी हैं. उन्होंने बताया कि आज की तारीख हमारे लिए इतिहास बन गई. राजा किशोर सिंह पर आज तक किसी ने कुछ नहीं लिखा ये मेरी 5 सालों की मेहनत है, जो आज सफल हुई है. राजा किशोर सिंह गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी थे लेकिन हमने लगातार मेहनत की ताकि उनकी वीरगाथा को आम लोगों के बीच लाया जाये. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब दमोह आए थे तो उन्होंने राजा किशोर सिंह को नमन करके भाषण की शुरुआत की थी. यह किताब मैंने अपनी मां स्व अयोध्या बाई को समर्पित की है. लोधी का कहना है कि यदि 1857 की क्रांति को समझना है या बुंदेलखंड के योगदान को समझना होगा. राज्यमंत्री लखन पटेल ने कहा कि हमारे बुंदेलखंड का आजादी की लड़ाई में बहुत बड़ा योगदान है. साथ ही दमोह की क्रांति के राजा किशोर सिंह बड़े नायकों में शुमार हैं. युवा लेखक चन्द्रभान सिंह को इस महान व्यक्तित्व पर लेखन के लिए बधाई.