कोलकाताः केवल बांग्ला के ही नहीं बल्कि विश्व साहित्य के बड़े हस्ताक्षरों में एक बंकिम चंद्र चटर्जी को जयंती के मौके पर देश भर में विशेषकर पश्चिम बंगाल में कई कार्यक्रम हुए. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चटर्जी को याद करते हुए ट्विटर पर लिखा कि वंदे मातरम! आज साहित्य सम्राट बंकिम चंद्र चटर्जी की जयंती है. इस मौके पर मैं उन्हें प्रेमपूर्वक याद कर श्रद्धांजलि दे रही हूं. इसी तरह पूर्व मेदिनीपुर जिले के एगरा नगरपालिका में भी बंकिम चंद्र चटर्जी की 182वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई. नगरपालिका अध्यक्ष शंकर बेरा ने नगरपालिका परिसर में बंकिम चंद्र चटर्जी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर रक्तदान शिविर का शुभारम्भ किया. शिविर में बड़ी संख्या में लोगों ने रक्तदान किया. इसके साथ इस वर्ष माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर उत्तीर्ण 120 छात्र-छात्राओं को पुष्प गुच्छ, मिठाइयां, स्कूल बैग एवं सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया.
याद रहे कि बंकिम चन्द्र चटर्जी का जन्म 26 / 27 जून, 1838 को 24 परगना ज़िले के कांठल पाड़ा नामक गांव में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था. वे 19वीं शताब्दी के बंगाल के प्रकाण्ड विद्वान्, महान् कवि और उपन्यासकार थे. 1874 में प्रसिद्ध देश भक्ति गीत वन्देमातरम् की रचना की. जिसे बाद में आनन्द मठ नामक उपन्यास में शामिल किया गया. ध्यातव्य है कि वन्देमातरम् गीत को सबसे पहले 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था. वह बंगला के शीर्षस्थ उपन्यासकार हैं. उनकी लेखनी से बंगला साहित्य तो समृद्ध हुआ ही है. हिंदी भी उपकृत हुई है. वे ऐतिहासिक उपन्यास लिखने में सिद्धहस्त थे. उन्हें भारत का एलेक्जेंडर ड्यूमा माना जाता है. उन्होंने 1865 में अपना पहला उपन्यास 'दुर्गेश नन्दिनी' लिखा, और समूचे भारतीय साहित्य को समृद्ध किया.