चंडीगढ़ः आज की युवा पीढ़ी को ज्योतिबा फुले के संघर्षमयी जीवन से प्रेरणा लेकर गरीब, पिछड़े वंचित लोगों के कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए तथा इन लोगों को शिक्षित करने के लिए आगे आना चाहिए. यही महात्मा ज्योतिबा फुले को सच्ची श्रद्धांजलि होगी. यह कहना है हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय का. वे महात्मा फुले की पुण्यतिथि पर राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में बोल रही थे. उन्होंने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले भारत में महिला शिक्षा के अग्रदूत थे. फुले ने जाति व्यवस्था के उन्मूलन, महिलाओं और गरीब वर्ग के लोगों को शिक्षित करने के लिए कार्य किया. दत्तात्रेय ने कहा कि फुले एक सच्चे राष्ट्रवादी, महान विचारक, जाति विरोधी समाज सुधारक तथा महान लेखक थे. उन्होंने सदैव पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति, गरीब दबे कुचले व वंचित लोगों के कल्याण के लिए कार्य किया और अपने अनुयायियों के साथ मिलकर समान अधिकार प्राप्त करने के लिए सत्यशोधक समाज का भी गठन किया. दत्तात्रेय ने कहा कि महात्मा फुले का मानना था कि शिक्षा ही मनुष्य के जीवन को श्रेष्ठ बना सकती है, इसी उद्देश्य को लेकर उन्होंने गरीब समाज के लोगों को शिक्षित करने का कार्य किया. सबसे पहले उन्होंने अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को शिक्षित किया.  फुले जो भारत की प्रथम महिला अध्यापिका बनीं.

ज्योतिबा फुले समाज सुधार समिति की ओर से भी महात्मा ज्योतिबा फुले की 131वीं पुण्यतिथि पर एक कार्यक्रम हुआ, जिसमें राज्यसभा सदस्य रामचंद्र जांगड़ा ने कहा कि ज्योतिबा फुले देश में महिला शिक्षा के जनक हैं. उन्होंने महिलाओं के लिए शिक्षा के द्वार खोले थे. उन्होंने चार लाइन में सब कुछ कह दिया था. शिक्षा गई तो मति गई, मति बिना गति गई. मति गई तो धन गया और धन गया तो शुद्र हुआ. शिक्षा के बिना जीवन में गति नहीं और शिक्षा के बिना सब कुछ चला जाता है. जांगड़ा ने कहा कि सत्य सूर्य के प्रकाश की तरह होता है. सत्य को बताने की जरूरत नहीं होती. ठीक उसी तरह ज्योतिबा फुले और माता सावित्री बाई फुले का व्यक्तित्व सूर्य के समान है. उनके द्वारा किए कार्य सूर्य की तरह चमक रहे हैं. भारत सरकार ने माता सावित्रीबाई फुले से प्रेरित होकर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का अभियान शुरू किया था. बेटियों को जरूर पढ़ाएं. बेटा एक परिवार को शिक्षित करता है, लेकिन एक शिक्षित बेटी दो घरों को शिक्षित करती हैं. शिक्षा ही आपके विकास के द्वारा खोल सकती है.