नई दिल्ली: चुनावी चकल्लस के बीच इंडिया हैबिटेट सेंटर में 14वें हैबिटैट फिल्म फेस्टिवल के सिनेमाई सफर का आरंभ अश्विन कुमार की हाल ही में प्रकाशित फिल्म 'नो फ़ादर इन कश्मीर' से हुआ. 10 दिन के इस फेस्टिवल में फर्स्ट कट्स, इंडियन फेस्टिवल प्रीमियर और वर्ल्ड प्रीमियर, डेब्यू और मास्टर क्लासेस जैसे कई बेहतरीन प्रोग्राम सिने प्रेमियों के लिए होंगे. इस दौरान 19 भाषाओं की 42 फ़िल्में प्रदर्शित की जा रही हैं, जिनमें मराठी, बंगाली, मलयालम, हिंदी, कश्मीरी, अंग्रेजी, तेलुगु, हरियाणवी, पंजाबी, असमी, कन्नड़, खासी, गद्दी, रावुला, गारो, शेरडुकपेन, लद्दाखी, कुमाउँनी और संथाली शामिल हैं. इसके अलावा डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट्स और स्टूडेंट फ़िल्म सेगमेंट के तहत समीक्षकों द्वारा सराही गई 45 अतिरिक्त फ़िल्मों की स्क्रीनिंग भी की जाएगी. प्रदर्शित फिल्मों में वाडा चेन्नई, कुम्बलंगी नाइट्स, नगरकीर्तन, द मॉस्किटो फिलॉसफी, मेहसमपुर, नोबेलमैन, तारीख़, दी गोल्ड लेडन शिप एंड द सेक्रेड माउंटेन, जॉनकी, लोर्नी- द फ्लेनुर, बारम, अभ्यक्तो, डेथ ऑफ एन इन्सेन आदि शामिल हैं, जिनकी स्क्रीनिंग के बाद उनके निर्देशकों से चर्चा की जा सकेगी. 'अहा रे' फ़िल्म की जानी-मानी अदाकारा ऋतुपर्णा सेन गुप्ता और फ़िल्म 'आभासम'’ की अदाकारा रीमा कल्लिंगल भी इस फ़िल्म फेस्टिवल में शामिल होंगी.|
फ़िल्म आभासम की स्क्रीनिंग के बाद #मीटू मूवमेंट पैनल और वुमन इन सिनेमा कलेक्टिव (फ़िल्मों में महिला सामूहिकता) में मलयालम फ़िल्म अभिनेत्री रीमा कल्लिंगल, डायरेक्टर जुबिथ नाम्रदाथ भाग लेंगे. सत्र संचालन फ़िल्म समीक्षक अन्ना एम.एम. वेट्टीकैड द्वारा किया जाएगा. इस दौरान दादासाहेब फाल्के सम्मान से सम्मानित निर्देशक सविता ओबेरॉय द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्रीज को भी विशेष रूप से प्रदर्शित किया जायेगा. प्रतीक बासु की फिल्म रंग महल, जिसे 69वें बर्लिन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के तहत चुना गया था का भी प्रदर्शन होगा. हैबिटेट फ़िल्म फेस्टिवल में बहुत से प्रतिभाशाली छात्रों की भी फ़िल्में प्रदर्शित की जाएंगी, जिनमें द फायरफॉक्स गार्जियन, ग्लो वर्म इन ए जंगल, खेला, व्हाट इज द कलर ऑफ़ कलरलेस स्काई इत्यादि शामिल हैं. न्यू स्टूडेंट्स सिनेमा सेगमेंट के तहत 'फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट पुणे', 'सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट कोलकाता', 'एजेके मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर जामिया मिलिया इस्लामिया', 'श्री अरबिन्दो सेंटर फॉर आर्ट्स एंड कम्युनिकेशन' इत्यादि के बहुत से युवा और उभरते हुए फिल्म निर्माता हिस्सा लेंगे. इंडिया हैबिटेट सेंटर की प्रोग्राम निदेशक विद्युन सिंह का कहना है, "हैबिटेट फ़िल्म फेस्टिवल फिल्मों के वैविध्यपूर्ण चुनाव के लिए जाना जाता है. यह चयन हमारे चरित्र की विविधता को पुष्ट करता है. फ़िल्में हमेशा से समुदाय को करीब लाने का मजबूत माध्यम रही हैं, और हम एक बार फिर से भारत की श्रेष्ठ फ़िल्में प्रस्तुत करते हुए रोमांचित हैं."