सीहोर: भोपाल से 37 किलोमीटर की दूरी परअंग्रेजों द्वारा बसाया गया शहर सीहोरआज भी उस दौर के कई पुरातात्विक महत्त्व के भवनों को समेटे हुए है. अब इस भूमि पर साहित्यिक गतिविधियां भी शीर्ष पर हैं. यहां के चंद्रशेखर आजाद स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय में साहित्य के पठन-पाठन, लेखन से हटकर साहित्यिक परिदृश्य की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को लेकर दो दिवसीय महत्वपूर्ण शोध गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें साहित्य जगत की तमाम हस्तियां जुटीं. 'हिंदी साहित्य की विविध विधाएं: रचना प्रक्रिया और आयाम' विषय पर महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय शोध-संगोष्ठी के तहत देश विदेश से आए विद्वानों ने विचार मंथन किया. इस अवसर पर महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका आस्था का विमोचन भी अतिथियों ने किया. सुधा ओम ढींगरा ने इस संगोष्ठी का उद्घाटन किया. संगोष्ठी में प्रेम जनमेजय, मनीषा कुलश्रेष्ठ, पारुल सिंह, पंकज सुबीर आदि नामीगिरामी साहित्यकारों ने भाग लिया. सत्र के प्रारंभ में संयोजक डॉ. पुष्पा दुबे ने साहित्यकारों की मनोभूमि, भावनाओं के आवेग की स्थिति और रचनाओं के रूप में उन भावों की परिणति को कविताओं के संबंध में व्याख्यायित किया.
कार्यक्रम में डॉ. उषा शर्मा ने भावनात्मक स्तर पर रचना प्रक्रिया की स्थिति को स्पष्ट करते हुए विशेष रूप से मीरा के संदर्भ में अपनी बात रखी. विशिष्ट अतिथि डॉ. सुमन तनेजा ने कहा कि साहित्य की चर्चा और उसके अलग-अलग पक्षों की पड़ताल जीवन को नई दिशा देती है. मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. सुधीर शर्मा ने कहा कि गीत एक ऐसी साहित्यिक विधा है, जिसका सीधा संबंध गायन से है. शब्द-ध्वनि का आधार लेकर लय युक्त अभिव्यक्ति ही गीत रूप में प्रकट होती है. सत्र की अध्यक्षता करते हुए कॉलेज की प्राचार्य डॉ. आशा गुप्ता ने बताया कि साहित्य ने समाज में महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. शोधार्थी सतीश शर्मा द्वारा कहानी की, प्रीति बबेले द्वारा हिन्दी-उर्दू गजलों की तथा डॉ. संगीता सक्सेना ने कविता की रचना प्रक्रिया पर शोध पत्रों का वाचन किया गया. सत्यानंद महाराज ने व्यक्ति एवं रचना के अंतः संबंध को गोस्वामी तुलसीदास के रामचरित मानस के संदर्भ में प्रस्तुत किया. सुभाष चौहान, रोली मिश्रा, डॉ. गणेशीलाल जैन ने अपने शोधपत्र सुनाए. अकादमिक सत्र का संचालन डॉ. कमलेश नेगी और आभार डॉ. सुशीला पटेल ने किया. संगोष्ठी में देशभर से आए साहित्यकारों के अलावा 48 प्राध्यापक, 23 शोधार्थी और 40 विद्यार्थियों शामिल हुए.