नई दिल्लीः हिंदी पखवाड़े में हिंदी साहित्य से जुड़े कवियों, साहित्यकारों की व्यस्तता उल्लेखनीय रही. पूरे साल हाशिए पर रहने वाला यह वर्ग मुख्यधारा में था. विशेषकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगभ सभी सरकारी संस्थान, विभाग, सार्वजनिक उपक्रमों में यह पखवाड़ा हिंदी जानकारों की उपस्थिति में मना. भारत सरकार के अधीन संचार भवन नई दिल्ली में हिंदी पखवाड़े के अंतिम दिन एक वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित हुई. सुप्रसिद्ध कवि राधे श्याम बंधु, कवयित्री डॉ. श्वेता त्यागी और चेतन आनंद बतौर जज इसमें आमन्त्रित थे. 15 संचार अधिकारियों और कर्मचारियों ने प्रतियोगी के रूप में हिस्सा लिया. राजभाषा अधिकारी पीसी विश्वकर्मा सहित अनेक अधिकारियों की उपस्थिति रही. इस दौरान चेतन आनंद ने- बाबूजी का चश्मा टूटा, माँ के दिल में छेद हुआ, चुपके से बिटिया ही कहती, कच्ची-पक्की बातें सब सुनाया.
याद रहे कि साहित्य अकादमी ने भी भारत सरकार के विभिन्न संस्थानों के कर्मचारियों के लिए आशुभाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया था, जिनमें विजेताओं के लिए कई श्रेणी में इनाम भी रखे थे. इस आयोजन में दो दर्जन हिंदी प्रेमी कर्मचारियों ने शिरकत की. जिनमें हिंदी और गैर हिंदी भाषी कर्मियों का उत्साह देखने लायक था. आशुभाषण प्रतियोगिता की खासियत यह थी कि जज ने उसी समय विषय लिखे और प्रतिभागियों को बोलने के लिए कहा. इस दौरान हिंदी हमारा राष्ट्र गौरव, हमारी धरती प्यारी धरती, दिल्ली देश का दिल, यातायात के नियम, साहित्य और सरकार, आधुनिक तकनीक और हिंदी भाषा जैसे गूढ़ विषय पर भी अहिंदी भाषी क्षेत्र के कर्मचारियों ने हिंदी में बोलकर राजभाषा के प्रति अपने प्रेम का परिचय दिया. इस कार्यक्रम के जज जय प्रकाश पाण्डेय थे. अकादमी के सचिव के श्रीनिवास राव के निर्देशन में इस कार्यक्रम के दौरान हिंदी संपादक कुमार अनुपम भी उपस्थित थे.