भोपालः राज्य की साहित्य अकादमी ने हिंदी दिवस के अवसर पर अकादमी कार्यालय में 'भारत की जनभाषा हिंदी' विषय पर सारस्वत व्याख्यान का आयोजन किया. साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में डॉ भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलाधिपति डॉ प्रकाश बरतूनिया ने हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक पुनर्निर्माण में भी हिंदी का योगदान है. इस कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग भी की गई. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कैलाशचंद पंत ने की. डॉ प्रकाश बरतूनिया का कहना था कि हिंदी की व्याप्ति पूरे विश्व में है. भारत से गए भारतीय मूल के निवासियों ने विश्व के लगभग 49 देशों में हिंदी की पताका को ऊंचा रखा है. विश्व के अनेक देशों के सांस्कृतिक पुनर्निर्माण में भी हिंदी का योगदान रेखांकित किया जाता है. बरतूनिया ने आग्रह किया कि हम हिंदी को अपने ही घर में उसका अपेक्षित स्थान देने में सफल नहीं हो पाए हैं. इसलिए हमें प्रयास करना चाहिए कि इस दिशा में कुछ सार्थक कार्य हो.
इस अवसर पर कैलाशचंद पंत का कहना था कि हिंदी भाषा विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषा है. आधुनिक तकनीक ने एक ओर जहां हिंदी को गौरवशाली स्थान प्रदान किया है, वहीं अहिंदी भाषी प्रांतों में भी हिंदी के प्रति स्नेह के स्वर सुनाई देने लगे हैं. हिंदी फिल्मी गीतों ने भी इस दिशा में एक बड़ा योगदान दिया है. अतिथियों का स्वागत करते हुए राज्य साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ विकास दवे ने कहा कि हिंदी जन-जन की भाषा है. आज भारत के सर्वाधिक प्रसार संख्या वाले दस समाचार पत्रों में नौ पत्र-पत्रिकाएं भारतीय भाषाओं की हैं. यही स्थिति टीवी चैनलों की भी है. वक्ताओं का कहना था कि हिंदी को जनभाषा बनाने की दिशा में किए जाने वाले प्रयास अधिनियमों से नहीं अपितु श्रद्धा के कारण मूर्त रूप ले सकेंगे. इसके अलावा मानव संग्रहालय और नेहरू युवा केंद्र की ओर से भी हिंदी दिवस पर आयोजन किए गए.