नागपुरः संघ हिंदू समाज को संगठित करता है, क्योंकि हिंदू अपने देश का उत्तरदायी समाज और स्थाई भाव है. हमारे देश के मुसलमान भी हिंदवी मुसलमान कहे जाते हैं. हिंदू कहने से आज पूजा में फंसा देते हैं, पर वह मूल अर्थ नहीं है. यह ज्ञान हिंदुस्तान के प्राचीन लोगों के अनुभव से विकसित हुई कि संपूर्ण अस्तित्व एक है, इसलिए विविधता को लेकर झगड़ा नहीं करना. सृष्टि से झगड़ा नहीं करना, सबको साथ लेकर चलना. यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सरसंघचालक मोहन भागवत ने प्रभा खेतान फाउंडेशन की ओर से नागपुर में आयोजित संवाद कार्यक्रम में कही. इस कार्यक्रम में देश भर के बारह शहरों से जुटी अहसास वूमेन ने हिस्सा लिया. संघ प्रमुख ने कहा कि चाहे हमारी भाषा कोई भी हो, हमारी भाषाई परंपरा में विचार यही है. उस विचार को लेकर हमारे यहां जो ग्रंथ बने- रामायण बना, महाभारत बना, इतिहास हो या कल्पना हो, सभी भाषाओं में एक है. भाषा अनेक है भाव एक है. पंथ, संप्रदाय अनेक हैं, पर वे शुरू यहीं से होते हैं कि सब कुछ एक है. दर्शन अलग-अलग होने के बावजूद रहना कैसे है, इसके लिए पांच यम और पांच नियम बनाते हैं. आचरण का उपदेश सबका एक है. सब जगह एक अंदरुनी एकता है. आचरण की इस परंपरा को लोगों ने जीकर बताया. सत्य वचन, सत्य वचन केवल बात नहीं हुई. हरिश्चंद्र जैसे चरित्र बताए जाते हैं. गांधी जी तक यह परंपरा चल रही है. ऐसे हर बात को पीढ़ी दर पीढ़ी जिया और हर पीढ़ी को एजुकेट करने की एक व्यवस्था बनी, वह हमारी संस्कृति है.
सरसंघ चालक ने कहा कि गुणवत्ता के आधार पर दुनिया को ज्ञान देने का अपना जो कर्तव्य है, उसमें योगदान देने के लिए लोगों को तैयार करने का काम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कर रहा है. एक ही काम उसे करना है दूसरा कोई काम उसे नहीं करना. पिछले 96 वर्षों से संघ ने यही काम किया है. संघ के एक लाख तीस हजार स्वयंसेवक देश भर में, सुदूर वनों में, देहातों में अपने अपने ढंग से ऐसे कार्यक्रम सरकारी पैसा लिए बिना, समाज की मदद के आधार पर चलाते हैं. जीवन के हर क्षेत्र में और सब जगह आज वे नंबर एक पर हैं. संघ का काम उन्हें डायरेक्टली या रिमोटली कंट्रोल करना नहीं है. संघ की कार्यपद्धति में नियंत्रण नहीं है, संघ प्रेरणा देता, संस्कार देता है. फिर वे अपने विवेक से कार्य करते हैं. शुरुआत अहसास वूमेन नागपुर की परवीन तुली ने की. राजस्थान और मध्य भारत की मानद समन्वयक अपरा कुच्छल ने औपचारिक स्वागत करते हुए फाउंडेशन के कार्यक्रमों और गतिविधियों का परिचय दिया. अहसास वूमेन नागपुर मोनिका भगवागर ने सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत का परिचय दिया. अंत में अहसास वूमेन वेदुला रामालक्ष्मी, निधि गर्ग, गरिमा तिवारी, दीपिका, उन्नति सिंह, अंशु मेहरा, ज्योति, नीलिमा डालमिया आधार, अनंत माला, शिंजिनी कुलकर्णी, अमिता, आंचल, पूनम, अंकिता और अपरा कुच्छल ने अपने-अपने शहर से लाए स्मृति चिन्ह प्रदान किए. कार्यक्रम में फाउंडेशन की एसोसिएट वंदना सिंह भी शामिल रहीं। यह कार्यक्रम देशभर में लाइव हुआ, जिसे बड़ी संख्या में चयनित दर्शकों ने देखा.