गुवाहाटी: भारतीय संविधान को अपनाने और एक गणराज्य के रूप में भारत के स्थापित होने की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान‘ अभियान का तीसरा क्षेत्रीय कार्यक्रम आईआईटी गुवाहाटी में हुआ. एक साल तक चलने वाले इस राष्ट्रव्यापी अभियान के हिस्से के रूप में क्षेत्रीय कार्यक्रमों की शृंखला में यह तीसरा क्षेत्रीय कार्यक्रम न्याय तक समग्र पहुंच के लिए अभिनव समाधान तैयार करने के लिए आयोजित किया गया था, जिसका कार्यान्वयन विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग ने किया. इस कार्यक्रम में विधि एवं न्याय राज्य मंत्री- स्वतंत्र प्रभार तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मुख्य भाषण दिया. उन्होंने संवैधानिक जागरूकता तथा कानूनी सशक्तीकरण के महत्त्व पर जोर दिया. गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई और न्यायमूर्ति लानुसुंगकुम जमीर ने सम्मानित अतिथि के रूप में कार्यक्रम में भाग लिया. कार्यक्रम की शुरुआत संविधान सभा की उन 15 महिला सदस्यों के सम्मान में पौधे लगाने के एक महत्त्वपूर्ण और प्रतीकात्मक संकेत के साथ हुई, जिन्होंने भारत के संविधान के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ‘एक पेड़ मां के नाम‘ अभियान के तहत यह श्रद्धांजलि देश की लोकतांत्रिक नींव को आकार देने में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण लेकिन अक्सर अनदेखी की गई भूमिका को उजागर करने का एक प्रयास था. न्याय विभाग के सचिव ने स्वागत वक्तव्य के साथ ही हमारा संविधान हमारा सम्मान अभियान के विभिन्न तत्वों और कार्यक्रम के दौरान लांच किए गए तीन उत्पादों अर्थात संविधान कथा, कामिक बुक और पाडकास्ट के बारे में जानकारी दी. संविधान कथा पत्रिका में 75 कहानियां हैं, जो रोजमर्रा की जिंदगी में भारतीय संविधान के प्रभाव को दर्शाती हैं. टेली ला और न्याय बंधु कार्यक्रमों के हितधारकों और क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं की साझा की गई ये कहानियां यह बताती हैं कि कि संविधान किस तरह भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है. कार्यक्रम के दौरान एक कामिक बुक का अनावरण किया गया, जिसमें उन 10 लोगों की वास्तविक जीवन की कहानियां हैं, जिन्होंने अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए टेली ला और न्याय बंधु कार्यक्रमों का उपयोग किया है. आकर्षक कामिक प्रारूप में प्रस्तुत की गई इस पुस्तक का उद्देश्य आम जनता के लिए कानूनी अधिकारों को अधिक सुलभ और प्रासंगिक बनाना है. इसके अलावा, आठ पाडकास्ट जारी किए गए, जो नागरिकों को उनके अधिकारों की रक्षा करने में मदद करने में टेली ला और न्याय बंधु कार्यक्रमों की भूमिका पर केंद्रित थे. व्यापक दर्शकों तक पहुंचने के उद्देश्य से ये पाडकास्ट इस बारे में व्यावहारिक जानकारी प्रदान करते हैं कि संविधान के महत्त्व और कानूनी अधिकारों की रक्षा के लिए इसका उपयोग कैसे किया जा सकता है.
मुख्य अतिथि न्यायाधीश बिश्नोई ने कहा कि भारत का संविधान, देश के मौलिक कानून के रूप में, हमारे देश के मूल्यों, सिद्धांतों और शासन ढांचे का प्रतीक है. राज्य के सभी अंगों की उत्पत्ति और उनके अधिकार संविधान से ही प्राप्त होते हैं और वे इसके ढांचे के भीतर ही अपने-अपने कार्यों का निर्वहन करते हैं. भारत का संविधान सर्वोच्च कानूनी प्राधिकार है, जो हमारे देश के विधायी, कार्यकारी और न्यायिक अंगों को जोड़ता है और नागरिकों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को सुनिश्चित करते हुए राज्य के कामकाज का मार्गदर्शन करता है. उन्होंने आगे उल्लेख किया कि यह जागरूकता आवश्यक है ताकि हम सभी, अपने सामाजिक, राजनीतिक, वैचारिक, धार्मिक, भाषाई और आर्थिक मतभेदों के बावजूद, एक न्यायपूर्ण समाज में सम्मानजनक जीवन जी सकें. केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि भारत का संविधान भारत के नागरिकों की रक्षा करता है. उन्होंने बताया कि संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों के सम्मान में पौधारोपण एक विशेष श्रद्धांजलि है. अथक और निस्वार्थ भाव से काम करने वाली ये असाधारण महिलाएं अक्सर भारत की लोकतांत्रिक यात्रा की कथा में गुमनाम नायक बनी रहीं. मेघवाल ने बताया कि हमने आज जो ये पौधे लगाए हैं, वो न केवल अपने संविधान की गहरी जड़ों का प्रतीक हैं, बल्कि न्याय, समानता और स्वतंत्रता जैसे मूल्यों के विकास का भी प्रतीक हैं, जो आज भी हमारे समाज का पोषण कर रहे हैं. उन्होंने असम से ताल्लुक रखने वाले मसौदा समिति के उस सदस्य का भी उल्लेख किया, जिनका नाम सैयद मुहम्मद सादुल्ला था, वे भारत के संविधान की मसौदा समिति में सेवा करने वाले असम के एकमात्र सदस्य थे. उन्होंने संविधान सभा की महिला सदस्य स्वर्गीय लीला राय का भी उल्लेख किया. केंद्रीय मंत्री ने प्रतिभागियों को संविधान के निर्माण में योगदान देने वालों के बारे में भी बताया. असम में तीसरे क्षेत्रीय कार्यक्रम के आयोजन के पीछे उद्देश्य संविधान के निर्माण में असम के लोगों के योगदान को याद करना था. मेघवाल ने हमारे राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र के महत्त्व के बारे में भी बताया जिसमें 24 तीलियां हैं जिनका नागरिकों के दैनिक जीवन में अपना महत्त्व और प्रासंगिकता है. इसके अलावा, उन्होंने संविधान के मूल मूल्यों के बारे में विस्तार से बताया, जिसमें समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व पर विशेष ध्यान दिया गया और उपस्थित लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने और दैनिक जीवन से एक उदाहरण देकर नागरिकों के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया. न्याय विभाग के संयुक्त सचिव नीरज कुमार गायगी ने कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया. इस कार्यक्रम में लगभग 1400 प्रतिभागियों ने भाग लिया.