इंदौरः स्थानीय जाल सभागृह में सुभद्रा कुमारी चौहान की स्मृति में अखिल भारतीय महिला साहित्य समागम में साहित्यिक, सांस्कृतिक और वैचारिक कार्यक्रम हुए. समारोह की शुरुआत वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष पदमा राजेंद्र ने सम्मेलन की रूपरेखा रखने से हुई. ज्योति जैन ने विस्तार से कार्यक्रम का विवरण दिया. लेखिका विमला व्यास अतिथि के रूप में मंच पर उपस्थित थी. मुख्य अतिथि के रूप में लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष और सुमित्रा महाजन और विशेष अतिथि के रूप में साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे की उपस्थिति उल्लेखनीय है. इस कार्यक्रम का यह तीसरा वर्ष है. समागम में लेखिका शीला श्रीवास्तव के उपन्यास विश्वास, सुषमा चौधरी की अंग्रेजी पुस्तक, निश्रा सावलानी के उपन्यास, मेघना की पुस्तक और विनीता मोटलानी के उपन्यास एहसासों के अल्फाज का विमोचन हुआ.
इस अवसर पर अतिथियों ने अखिल भारतीय महिला साहित्य समागम कार्यक्रम की सराहना की और कहा कि इससे महिलाओं को बढ़ावा मिलने के साथ ही साहित्य और समाज को भी बल मिलेगा. समागम के एक सत्र में अनेक लेखकों की पुस्तकों का विमोचन हुआ. विमोचन के अवसर पर लेखिका विमला व्यास तथा वामा साहित्य मंच के पदाधिकारी उपस्थित थे. व्यास ने लेखिकाओं को बधाई देते हुए कहा कि अश्लीलता महिला लेखन का विषय नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि मानवता के गुणों से भरपूर लेखन किया जाना चाहिए. चित्रकूट में अपने जन्म लेने का जिक्र करते हुए व्यास ने कहा कि वहां के कण-कण में राम और सीता बसे हुए हैं. मां दुर्गा के नौ रूपों की चर्चा करते हुए कहा कि हम सब उन गुणों को अपने जीवन में धारण कर सकते हैं. उन्होंने चेताया कि छपने के लिए हमें निम्न स्तरीय तरीकों को नहीं अपनाना चाहिए. सनातन धर्म में कहा गया है कि स्त्री-पुरुष की सहचरी है, इसलिए सशक्त तो वह है ही. उन्होंने कहा कि हमारे बोलने और लिखने में पावनता होनी चाहिए.