भोपालः सिनेमा मनोरंजन का माध्यम है लेकिन उसका उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन हो, ऐसा नहीं है. कुछ फिल्में सच भी बयान करती हैं और सामाजिक संदेश देती हैं. यह कहना है फ़िल्म अभिनेता अक्षय कुमार का, जो चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल के चतुर्थ संस्करण के औपचारिक उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे. यह आयोजन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय बिसनखेडी में हुआ. इस अवसर पर कुमार ने अपनी उन फिल्मों का उल्लेख किया, जो सामाजिक मुद्दों पर बनी हैं. उन्होंने कहा कि विवेक अग्निहोत्री की फ़िल्म 'द कश्मीर फाइल्स' ने देश को झकझोर दिया है. उन्होंने कहा कि फ़िल्म निर्माता अपनी फिल्मों के माध्यम से ऐसी कहानी लेकर आएं जो देश निर्माण में सहयोगी बनें. चित्र भारती के माध्यम से यह विचार देश के कोने-कोने में पहुंचे. उन्होंने कहा कि असफलताएं हमारे जीवन का हिस्सा हैं लेकिन असफलताओं के आगे हमें अपनी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. मैंने भी काफी समय असफलताओं का सामना किया है. समारोह का शुभारंभ संस्कृत बैंड 'ध्रुवा' और नर्मदाष्टकम पर नृत्य प्रस्तुति के साथ किया गया. स्वागत भाषण पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो केजी सुरेश ने दिया. इस अवसर पर फ़िल्म पर केंद्रित दो विशेषांकों एवं मध्यप्रदेश के फ़िल्म कलाकारों पर केंद्रित डायरेक्टरी का विमोचन भी किया गया. इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष दिलीप सूर्यवंशी, भारतीय चित्र साधना के अध्यक्ष प्रो बीके कुठियाला भी उपस्थित रहे.
फ़िल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि चित्र भारती सिनेमा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है. राष्ट्रीय विचार को बढ़ाने के इस अभियान को सबको गति देना चाहिए. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को लेकर अब तक बहुत फिल्में बनाई गईं, लेकिन किसी ने वास्तविकता को नहीं दिखाया. बल्कि उन फिल्मों में आतंकवादियों को सही ठहराने का ही काम किया गया. फिल्मों के माध्यम से हमने डाकुओं, लुटेरों, नक्सलियों और आतंकियों का महिमामंडन करने का काम किया. यह भारतीयता विरोधी नैरेटिव था. अब समय आ गया है कि फिल्मों के माध्यम से भारत के विमर्श को आगे बढ़ाया जाए. उन्होंने कहा कि चित्र भारती फ़िल्म फेस्टिवल में आने वाले युवा फ़िल्म निर्माता यह कर सकते हैं. उन्होंने अगले 5 साल तक 51-51 हजार रुपए वार्षिक स्कॉलरशिप देने की घोषणा की. भारतीय साहित्य, सभ्यता, सिनेमा पर काम करने के लिए तीन छात्राओं को यह छात्रवृत्ति दी जाएगी. उन्होंने कहा कि वे नरसंहार पर केंद्रित संग्रहालय बनाएंगे. अग्निहोत्री ने कहा कि मानवता की लौ जलाने का हमारा जो डीएनए था, उसी के अनुरूप हमारा युवा फ़िल्म बना रहा था. सिनेमा का एक दौर ऐसा भी आया जब उससे भारत का आम आदमी और सामाजिक मुद्दे गायब हो गए. दरअसल, हमने 70 साल में अपने युवाओं को शॉर्टकट लेना सिखाया, उसे प्रोडक्टिव नहीं बनाया. संचालन विनय उपाध्याय ने किया और आभार प्रदर्शन आयोजन समिति के सचिव अमिताभ सोनी ने किया.