रायपुर: साहित्य विधा समूह ने अपना स्थापना दिवस मनाया. इस अवसर पर स्थानीय वृंदावन हाल में स्थानीय साहित्यकारों, लेखकों के एक साझा संस्मरण संग्रह ‘सुधियों की दस्तक‘ का विमोचन भी हुआ. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की सचिव डा अभिलाषा बेहार ने शिरकत की. विशिष्ट अतिथि व्यंग्य यात्रा के संपादक और चर्चित व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय थे. साहित्य विधा संचालक मंडल के सदस्य डा सरोज दुबे ने साझा संस्मरण के बारे में बताया कि इस पुस्तक में छत्तीसगढ़ एवं अन्य प्रदेशों के 60 से अधिक रचनाकारों ने अपनी सहभागिता दर्ज की. इस पुस्तक की संपादक विजया ठाकुर हैं और सह संपादक प्रीति मिश्रा व ज्योति परमाले हैं. दीप प्रज्वलन के पश्चात डा सरोज दुबे विधा ने सरस्वती वंदना की. मुख्य अतिथि डा अभिलाषा बेहार ने कहा कि यह संस्था महिला बहुल है और कोई तस्वीर मुकम्मल नहीं औरत के बगैर, इसलिए महिलाओं द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में शामिल होकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूं. उन्होंने मधुर वाणी में अपनी स्वरचित रचनाओं का पाठ भी किया.
कार्यक्रम के अध्यक्ष गिरीश पंकज ने कहा कि महिलाएं पद्य के क्षेत्र में बहुत लिख रही हैं, परंतु गद्य के क्षेत्र में भी महिलाओं का इस तरह आगे आना सराहनीय कदम है. विशिष्ट अतिथि प्रेम जनमेजय ने कहा कि संस्मरण घटनाओं का संक्षिप्त विवरण नहीं है बल्कि एक संस्मरण में पूरे परिवेश का वर्णन जरूरी है. विशिष्ट अतिथि ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने कहा कि साहित्य विधा द्वारा प्रकाशित अगली पुस्तक देशभक्ति पर आधारित होनी चाहिए. मुख्य वक्ता डा सुधीर शर्मा ने कहा कि महिलाएं साहित्य सृजन के क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. वह साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन कर नवोदय रचनाकारों को मंच प्रदान करने का उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं. इसी क्रम में वक्ता स्पीकर शिव ग्वालानी अपना संस्मरण सुनाए. दूसरे वक्ता रामेश्वर शर्मा ने बेहतरीन रचना पाठ किया. ‘सुधियों की दस्तक‘ में सहभागिता करने वाले रचनाकारों को सम्मानित भी किया गया. स्वागत उद्बोधन डा सीमा निगम ने किया. मंच संचालन डा सीमा अवस्थी मिनी व भारती यादव मेधा ने किया.