लखनऊ: स्थानीय गोमती नगर स्थित भागीदारी भवन प्रेक्षागृह में साहित्य अकादेमी ने बाल साहित्य पुरस्कार 2024 अर्पण समारोह आयोजित किया. साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने ये पुरस्कार प्रदान किए. समारोह के मुख्य अतिथि साहित्यकार सूर्य प्रसाद दीक्षित थे. अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने समापन और सचिव के श्रीनिवासराव ने स्वागत वक्तव्य दिया. सरस्वती वंदना के बाद मुख्य अतिथि का स्वागत पुष्पगुच्छ, साहित्य अकादेमी की पुस्तकें और शाल पहनाकर हुआ. अकादेमी के सचिव श्रीनिवासराव ने कहा कि हमें बेहद खुशी है कि साहित्य अकादेमी के 70 साल के इतिहास में पहली बार बाल साहित्य पुरस्कार लखनऊ में प्रदान किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बाल साहित्य बच्चों के संतुलित विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बाल साहित्य बच्चों की कल्पनाशीलता को तो बढ़ाता ही है बल्कि समाज में उन्हें अच्छे व्यवहार के लिए भी प्रेरित करता है. अध्यक्षीय वक्तव्य में माधव कौशिक ने कहा कि बच्चों के लिए लिखना बेहद श्रम का कार्य है. बाल लेखन के लिए बच्चों की दृष्टि से लिखना ही काफी नहीं बल्कि उनकी मुस्कान को बरकरार रखना भी जरूरी होता है. पहले सभी भाषाओं के महत्त्वपूर्ण साहित्यकारों ने बाल साहित्य का प्रचुर मात्रा में लेखन किया है लेकिन अब यह परंपरा खंडित सी हो गई है, लेकिन इसका जारी रहना जरूरी है. अपनी बात के समापन पर उन्होंने अपनी कविता की दो पंक्तियां पढ़ीं-
बंद घरों के हर कमरे में जैसे रोशनदान रहे.
वैसे ही हर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान रहे.
मुख्य अतिथि सूर्य प्रसाद दीक्षित ने बाल साहित्य के इतिहास और परंपरा की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि बाल साहित्य को बच्चों की नई पीढ़ी के अनुसार पठनीय बनाना होगा. उन्होंने लखनऊ की मुंशी नवल किशोर प्रेस की महत्त्वपूर्ण भूमिका और अमृतलाल नागर को भी याद किया. उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए जीवनी साहित्य उपयोगी होता है लेकिन उसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए बाल मनोविज्ञान का ज्ञान ज़रूरी है, जिससे उसे बच्चों की भाषा में लिखा जा सके. समापन वक्तव्य में कुमुद शर्मा ने कहा कि बाल साहित्य बच्चों को जीवन की पाठशाला के लिए तैयार कर सजग और सतर्क नागरिक बनाता है और उसकी महत्ता को नकारा नहीं जा सकता है. बाल साहित्य पुरस्कार 2024 से सम्मानित हुए लेखक रंजु हाजरिका (असमिया), दीपान्विता राय (बांग्ला), भार्जिन जेक‘भा मोसाहारी (बोडो), बिशन सिंह ‘दर्दी‘ (डोगरी), नंदिनी सेनगुप्ता (अंग्रेजी), गिरा पिनाकिन भट्ट (गुजराती), देवेंद्र कुमार (हिंदी), कृष्णमूर्ति बिळिगेरे (कन्नड), मुजफ्फर हुसैन दिलबर (कश्मीरी) हर्षा सद्गुरू शेटये (कोंकणी), नारायणजी (मैथिली), उन्नी अम्मायंबळम् (मलयालम), क्षेत्रिमयुम सुवदनी (मणिपुरी), भारत सासणे (मराठी), वसंत थापा (नेपाली), मानस रंजन सामल (ओड़िआ), कुलदीप सिंह दीप (पंजाबी), प्रहलाद सिंह ‘झोरड़ा‘ (राजस्थानी), हर्षदेव माधव (संस्कृत), दुगाई टुडु (संताली), लाल होतचंदानी ‘लाचार‘ (सिंधी), युमा वासुकि (तमिल), पामिदिमुक्कला चंद्रशेखर आजाद (तेलुगु) और शम्सुल इस्लाम फारूकी (उर्दू) शामिल हैं. पुरस्कृत बाल साहित्यकारों को उत्कीर्ण ताम्रफलक तथा 50,000/- रुपए की सम्मान राशि प्रदान की गई. हिंदी, उर्दू और सिंधी पुरस्कार विजेता खराब स्वास्थ्य के कारण पुरस्कार ग्रहण करने नहीं आ सके और अंग्रेजी पुरस्कार विजेता की जगह उनके प्रतिनिधि ने पुरस्कार ग्रहण किया.