नई दिल्लीः साहित्य अकादेमी ने महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती वर्ष के अवसर पर अखिल भारतीय बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें 21 भारतीय भाषाओं के कवियों ने गाँधी पर लिखी अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं. साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने आमंत्रित कवियों का अंगवस्त्रम् प्रदान करके स्वागत करते हुए महात्मा गाँधी के 150वें जयंती वर्ष में आगामी दो वर्षों तक साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि महात्मा गाँधी ने भारतीय समाज के हर हिस्से और हर वर्ग को प्रभावित किया. अहिंसा के रूप में उन्होंने विश्व को एक ऐसा विश्वास दिया है जो हर विपरीत परिस्थिति में आंतरिक ताकत प्रदान करता है. विशिष्ट अतिथि पद्मा सचदेव ने कहा कि गाँधी जी की सबसे बड़ी प्रेरणा महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए थी और उसी का परिणाम है कि आज महिलाएँ हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं. उनके प्रोत्साहन से ही महिलाओं ने आज़ादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. उन्होंने गाँधी पर लिखी अपनी कविता का पाठ भी किया. आरंभिक वक्तव्य में प्रख्यात मलयालम साहित्यकार के. सच्चिदानंदन ने गाँधी के आदर्शों की परिकल्पना को एक लेखक की नजर से प्रस्तुत किया. उन्होंने गाँधी के लिए स्वतंत्रता और स्वराज के सिद्धांत, धर्मनिरपेक्षता, समानता और सत्याग्रह की व्याख्या करते हुए कहा कि गाँधी के लिए ये सब समाज के ‘अंतिमजन’ को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए था. उन्होंने भी गाँधी पर लिखी अपनी कविता प्रस्तुत की.
अध्यक्षीय वक्तव्य में साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार ने कहा कि गाँधी ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है. वे बड़े शहरों से लेकर गाँव के कोने तक पहुंचे. उन्होंने गाँव में रहने वाली भारतीय जनता को पहली बार एहसास कराया कि वे किसी विदेशी सत्ता के अधीन हैं और इससे अहिंसात्मक रूप से लड़कर ही स्वतंत्रता प्राप्त की जा सकती है. उन्होंने हमारे अंदर वो आत्मसम्मान पैदा किया जो किसी भी देश के नागरिकों के लिए बहुत आवश्यक है. वे आज भी अपने विचारों द्वारा हम सबके साथ हैं और हम उन्हें कभी भी नहीं भूल सकते. उद्घाटन सत्र में समापन वक्तव्य देते हुए साहित्य अकादेमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि महात्मा गाँधी की उपस्थिति इतनी व्यापक और विराट है कि उसे केवल भारत में ही नहीं विश्व के किसी भी हिस्से में महसूस किया जा सकता है. उन्होंने जोहांसबर्ग की अपनी यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके इस विराट व्यक्तित्व का असर पहली बार मुझे वहाँ देखने को मिला. उन्होंने कहा कि आज भी अगर किसी को अपनी आंतरिक शक्ति पर विश्वास करना हो तो गाँधी जी से बड़ा उदाहरण कोई भी नहीं हो सकता.
कार्यक्रम का अगला सत्र अंग्रेजी रचनाकार अरविंद कृष्ण मेहरोत्रा की अध्यक्षता में संपन्न हुआ और उसमें जीबन नाराह (असमिया), रश्मि चौधरी (बोडो), धीरेंद्र मेहता (गुजराती), गंगा प्रसाद विमल (हिंदी), जयंत कैकिनी (कन्नड), अज़ीज़ हाजिनी (कश्मीरी), विल्सन कतील (कोंकणी) अपनी कविताएँ पढ़ीं. अगले सत्र की अध्यक्षता अर्जुन देव चारण ने की और अजीत आज़ाद (मैथिली), राजकुमार भुबॅनसना (मणिपुरी), चंद्रकांत पाटील (मराठी), शत्रुघ्न पांडव (ओड़िया) एवं अभिराज राजेंद्र मिश्र (संस्कृत) ने कविताएं पढ़ीं. अंतिम सत्र शीन काफ़ निज़ाम की अध्यक्षता में संपन्न हुआ, जिसमें विम्मी सदारंगाणी (सिंधी), कोप्पार्थि वेंकट रमण (तेलुगु), वनीता (पंजाबी) एवं बुद्धिनाथ मिश्र (हिंदी) ने अपनी कविताएं पढ़ीं. सभी कविताएं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर थीं. कार्यक्रम का संचालन साहित्य अकादेमी के संपादक अनुपम तिवारी ने किया. इस अवसर पर एक विशेष स्मारिका का विमोचन भी किया गया, जिसमें सभी प्रतिभागी कवियों के संक्षिप्त परिचय के साथ गाँधी पर लिखी गई कविता भी प्रकाशित हुई है.