नई दिल्ली: “आजकल बच्चों की पढ़ाई को लेकर कई तरह के प्रयोग हो रहे हैं. कोशिश यही है कि हमारे बच्चों में क्रिएटिवटी और बढ़े, किताबों के लिए उनमें प्रेम और बढ़े – कहते भी हैं ‘किताबें‘ इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं, और अब इस दोस्ती को मजबूत करने के लिए पुस्तकालय से ज्यादा अच्छी जगह और क्या होगी.” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात की 116वीं कड़ी में यह बात कही. चेन्नई के एक उदाहरण को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि यहां बच्चों के लिए एक ऐसा पुस्तकालय तैयार किया गया है, जो क्रिएटिवटी और लर्निंग का हब बन चुका है. इसे प्रकृत् अरिवगम् के नाम से जाना जाता है. इस पुस्तकालय का विचार तकनीक की दुनिया से जुड़े श्रीराम गोपालन की देन है. विदेश में अपने काम के दौरान वे नवीनतम तकनीक की दुनिया से जुड़े रहे. लेकिन वो बच्चों में पढ़ने और सीखने की आदत विकसित करने के बारे में भी सोचते रहे. भारत लौटकर उन्होंने प्रकृत् अरिवगम् को तैयार किया. इसमें तीन हजार से अधिक किताबें हैं, जिन्हें पढ़ने के लिए बच्चों में होड़ लगी रहती है. किताबों के अलावा इस पुस्तकालय में होने वाली कई तरह की गतिविधियां भी बच्चों को लुभाती हैं. कहानी पाठ सत्र हो, कला कार्यशाला हो, मेमोरी ट्रेनिंग क्लासेज, रोबोटिक्स लेसन या फिर पब्लिक स्पीकिंग, यहां हर किसी के लिए कुछ-न-कुछ जरूर है, जो उन्हें पसंद आता है.
हैदराबाद के ‘फूड फार थाट फाउंडेशन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन्होंने भी कई शानदार लाइब्रेरीज बनाई हैं. इनका भी प्रयास यही है कि बच्चों को ज्यादा-से-ज्यादा विषयों पर ठोस जानकारी के साथ पढ़ने के लिए किताबें मिलें. बिहार में गोपालगंज के ‘प्रयोग पुस्तकालय‘ की चर्चा तो आसपास के कई शहरों में होने लगी है. इस पुस्तकालय से करीब 12 गांवों के युवाओं को किताबें पढ़ने की सुविधा मिलने लगी है, साथ ही ये, पुस्तकालय पढ़ाई में मदद करने वाली दूसरी जरूरी सुविधाएँ भी उपलब्ध करा रही है. कुछ ग्रंथालय तो ऐसे हैं, जो, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में छात्रों के बहुत काम आ रहे हैं. ये देखना वाकई बहुत सुखद है कि समाज को सशक्त बनाने में आज पुस्तकालय का बेहतरीन उपयोग हो रहा है. आप भी किताबों से दोस्ती बढ़ाइए, और देखिए, कैसे आपके जीवन में बदलाव आता है. दक्षिण अमेरिका के देश गयाना की अपनी यात्रा को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वहां देशभक्ति की अनेकों कहानियां हैं. याना की तरह ही दुनिया के दर्जनों देशों में लाखों की संख्या में भारतीय हैं. दशकों पहले की 200-300 साल पहले की उनके पूर्वजों की अपनी कहानियां हैं. क्या आप ऐसी कहानियों को खोज सकते हैं कि किस तरह भारतीय प्रवासियों ने अलग-अलग देशों में अपनी पहचान बनाई! कैसे उन्होंने वहां की आजादी की लड़ाई के अंदर हिस्सा लिया! कैसे उन्होंने अपनी भारतीय विरासत को जीवित रखा? मैं चाहता हूं कि आप ऐसी सच्ची कहानियों को खोजें, और मेरे साथ नमो ऐप पर साझा करें.