बेंगलुरू: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सहयोग से बेंगलुरू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आगामी 30 और 31 अक्तूबर को 'समसामयिक हिंदी साहित्य में चेतना के स्वर' विषय पर संगोष्ठी आयोजित कर रहा है. संगोष्ठी के आमंत्रण-पत्र में इस विषय पर संगोष्ठी करने के उद्देश्य का उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि आज भारत इक्कीसवीं सदी के प्रथमार्द्ध में पदार्पण कर चुका है. समसामयिक संदर्भ में भूमंडलीकरण, उदारीकरण, बाजारवाद और उपभोक्तावाद का दौर आज के भारत की विशेषता है. दूसरी तरफ आम आदमी की तकलीफों का सूचकांक तेजी से बढ़ता जा रहा है. आम आदमी अत्याधिक समस्याओं से जूझ रहा है. मानव मूल्यों का टूटन और विघटन चिंता के विषय बन गए हैं, जो चिंताजनक है. अपसंस्कृति का विस्तार हो रहा है. इन अतृप्त आत्माओं से चेतना के अलग-अलग स्वर उभर रहे हैं. आज एक अमानवीय दबाव और तनाव समाज में दिख रहा है. इन्हीं विषयों को साहित्य में उभरते हम देख रहे हैं. हिंदी रचनाकार इन्हीं निस्सहाय चीख और कूंक को ढूंढने में तत्पर है. यही विचारधाराएं सामाजिक चेतना, नारी चेतना, सांस्कृतिक चेतना, आर्थिक चेतना, राजनैतिक चेतना, दलित चेतना बनकर रूपांतरित हुई हैं. 'समसामयिक हिंदी साहित्य में चेतना के स्वर' विषय पर आयोजित संगोष्ठी का उद्देश्य इन सभी चेतनाओं से उभरी उलझन, समस्याओं को सुधार कर संवार कर एक भव्य भारत के निर्माण में सहायक बनना है.
इस कार्यक्रम का उद्घाटन श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय तिरुपति के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ चंद्रशेखर रेड्डी के बीज वक्तव्य से होगा. मुख्य अतिथि कोच्ची विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ. शशिधरन होंगे. अध्यक्षता बेंगलूरू विश्वविद्यालय के कुलपतो डॉ के आर वेणुगोपाल करेंगे और विशेष अतिथि बेंगलूरू विश्वविद्यालय के कुलसचिव मूल्यांकन डॉ. सी शिवराजु होंगे. समापन समारोह में मुख्य अतिथि लेखक और मोतीलाल नेहरू कालेज दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राचार्य दिविक रमेश, विशेष अतिथि बेंगलूरू विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ. बी के रवि, बेंगलूरू विश्वविद्यालय के कला संकाय के प्रमुख प्रोफेसर डॉ एम. जे विनोद होंगे. इस सत्र की अध्यक्षता बेंगलूरू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष लेखक डॉ टी जी प्रभाशंकर प्रेमी करेंगे. इस अवसर पर प्रमाण-पत्र भी दिया जाएगा.