न्यूयार्क: “कोई समंदर इतना गहरा नहीं, जो दिल की गहराइयों में बसे हिंदुस्तान को आपसे दूर कर सके. मां भारती ने जो हमें सिखाया है, वो हम कभी भी भूल नहीं सकते. हम जहां भी जाते हैं, सबको परिवार मानकर उनसे घुल-मिल जाते हैं. विविधता को समझना, विविधता को जीना, उसे अपने जीवन में उतारना, ये हमारे संस्कारों में है, हमारी रगों में है.” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात अमेरिका के न्यूयार्क में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कही. प्रधानमंत्री यहां संयुक्त राष्ट्र समिट आफ द फ्यूचर शिखर सम्मलेन में भाग लेने पहुंचे थे. भारत की सांस्कृतिक विविधता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि हम उस देश के वासी हैं. हमारे यहां सैकड़ों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं. दुनिया के सारे मत हैं, पंथ हैं. फिर भी हम एक बनकर, नेक बनकर आगे बढ़ रहे हैं. यहां इस पंडाल में ही देखिए, कोई तमिल बोलता है, कोई तेलुगु, कोई मलयालम, तो कोई कन्नड़ा, कोई पंजाबी, तो कोई मराठी, और तो कोई गुजराती, भाषा अनेक हैं, लेकिन भाव एक है. और वो भाव है- भारत माता की जय. वो भाव है – भारतीयता. प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के साथ जुड़ने के लिए ये हमारी सबसे बड़ी शक्ति है, सबसे बड़ी ताकत है. यही मूल्य, हमें सहज रूप से ही विश्व-बंधु बनाती हैं. हमारे यहां कहा जाता है- तेन त्यक्तेन भुंजीथा:. यानी जो त्याग करते हैं, वे ही भोग पाते हैं. हम दूसरों का भला करके, त्याग करके सुख पाते हैं. और हम किसी भी देश में रहें, ये भावना नहीं बदलती है. हम जिस सोसायटी में रहते हैं, वहां ज्यादा से ज्यादा योगदान करते हैं. यहां अमेरिका में आपने डाक्टर्स के रूप में, रिसरचर्स के रूप में, टेक प्रोफेशनल्स के रूप में, वैज्ञानिक के रूप में या दूसरे प्रोफेशन्स में जो परचम लहराया हुआ है, वो इसी का प्रतीक है. अभी कुछ समय पहले ही तो यहां टी20 क्रिकेट वर्ल्ड कप हुआ था और अमेरिका की टीम क्या गजब खेली, और उस टीम में यहां रह रहे भारतीयों का जो योगदान था वो भी दुनिया ने देखा है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया के लिए एआई का मतलब है आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस. लेकिन मैं मानता हूं कि एआई का मतलब अमेरिकन- इंडियन. अमेरिका-इंडिया ये स्पिरिट है और वही तो नई दुनिया का एआई पावर है. यही एआई स्पिरिट, भारत-अमेरिका रिश्तों को नई ऊंचाई दे रहा है. मैं आप सभी को, इंडियन डायस्पोरा को सैल्यूट करता हूं. प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हर देश भारत को ज्यादा से ज्यादा समझना चाहता है, जानना चाहता है. आपको एक और बात जानकर खुशी होगी. कल ही, अमेरिका ने हमारे करीब 300 पुराने जो शिलालेख और मूर्तियां थीं, जो कभी हिंदुस्तान से कोई चोरी कर गया होगा, कोई 1500 साल पुरानी, कोई 2000 साल पुरानी, 300 शिलालेख और मूर्तियां भारत को लौटाई हैं. अभी तक अमेरिका ऐसी लगभग 500 धरोहरें भारत को लौटा चुका है. ये कोई छोटी सी चीज लौटाने का विषय नहीं है. ये हमारी हज़ारों वर्षों की विरासत का सम्मान है. ये भारत का सम्मान है, और ये आपका भी सम्मान है. प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं अमेरिका की सरकार का इसके लिए बहुत आभारी हूं. आजकल भारत, में एक पेड़ मां के नाम, अपनी मां को याद करते हुए एक पेड़ लगाना, मां जिंदा है तो साथ ले जाना, मां नहीं है तो तस्वीर ले जाना, एक पेड़ मां के नाम लगाने का अभियान आज देश के हर कोने में चल रहा है. और मैं चाहूंगा, आप सभी यहां भी ऐसा अभियान चलाएं. ये हमारी जन्मदाता मां और धरती मां, दोनों का यश बढ़ाएगा.