जयपुर: अखिल भारतीय साहित्य परिषद जयपुर द्वारा श्रावण शुक्ल सप्तमी को महाकवि तुलसीदास की जयंती महोत्सव का आयोजन किया. जवाहर कला केंद्र, जयपुर में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री मनोज कुमार ने की. कार्यक्रम में महाकवि तुलसी के जीवन प्रसंगों एवं विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस के मानव जीवन उपयोगी प्रसंगों पर साहित्यकारों ने अपने विचार प्रकट किए. साहित्यकार विद्याराम गुर्जर ने तुलसी की सर्व जन हिताय, लोक कल्याण व विश्व मंगल की भावना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तुलसी ने समाज को जोड़ने के लिए राम के जननायक स्वरूप व रामराज्य की कल्पना की. डा इंदुशेखर तत्पुरुष ने तुलसी की महान रचनाओं का स्मरण करते हुए कहा रामचरितमानस एवं हनुमान चालीसा आज भी लोक जीवन में रचे बसे हैं.
तत्पुरुष ने कहा कि तुलसीदास का जन्म आज से 513 वर्ष पूर्व संवत 1568 की श्रावण शुक्ल सप्तमी, तदनुसार 11 अगस्त सन 1511 ईसवी को हुआ था. इस वर्ष यह एक दुर्लभ संयोग है कि उनके जन्मदिवस की भारतीय तिथि और अंग्रेजी तारीख दोनों एक ही दिन हैं. वे सामाजिक समरसता और समन्वय के लोकनायक थे. साहित्य परिषद राजस्थान के क्षेत्रीय महामंत्री डा केशव शर्मा ने श्रीराम के जीवन प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि श्रीराम ने वनवासियों, उपेक्षितों, नारी एवं जनसामान्य की भलाई के लिए रामराज्य की स्थापना की. विपिन चंद ने तुलसी के स्वांतसुखाय एवम लोकसुखाय यानी लोककल्याण के भाव पर अपने विचार व्यक्त किए. अध्यक्षीय उद्बोधन में मनोज कुमार ने कहा कि तुलसी के विचार एवं रामराज्य की अवधारणा आज भी प्रासंगिक है. अपने कालजयी साहित्य से तुलसी ने समाज एवं विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया.