श्रीनगर: घाटी के पहले राष्ट्रीय पुस्तक मेले ‘चिनार पुस्तक महोत्सव’ में 1.25 लाख से अधिक पाठकों ने शिरकत की. नौ दिवसीय पुस्तक मेले में आए पाठक अपनी पसंद के विषय की किताबें हर दिन खरीदते दिखे. चिनार पुस्तक महोत्सव के आयोजक नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया के निदेशक युवराज मलिक ने कश्मीर की आवाम का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा, ”यहां स्कूल-कालेजों के विद्यार्थियों, परिवार के साथ बच्चों ने मेले का लाभ उठाया. सबसे अच्छी बात यहां देखने को यह मिली कि किताबों के साथ-साथ यह उत्सव कला, संस्कृति और साहित्य का संगम बना. हमें पाठकों से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली और यह खुशी की बात है कि हर हाथ में किताब पहुंचाने का जो हमारा मिशन है, कश्मीर में हम उसमें कामयाब रहे.” आखिरी दिन भी बच्चों के लिए यहां स्टोरी टेलिंग, ओपन माइक और मैथ्स क्विज में भाग लेन का अवसर था. स्कूल और कालेजों के विद्यार्थियों को ओड़िशा लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष और करियर विशेषज्ञ सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर एलसी पटनायक ने सिविल सर्विसेज और अन्य सरकारी क्षेत्रों में भविष्य बनाने के लिए गाइड भी किया. उन्होंने विद्यार्थियों को संघ लोक सेवा आयोग के साथ आईएएस, आईएफएस, आईपीएस आदि सेवाओं के बारे में भी बताया. प्रदर्शन कलाओं में जम्मू-कश्मीर की समृद्ध विरासत पर भी इस दिन बात की गई. सुनंदा शर्मा, कृष्ण लंगू और पंडित अभय रुस्तम सोपोरी ने इस विषय पर चर्चा की. नौ दिवसीय चिनार पुस्तक महोत्सव की कामयाबी 1.25 लाख से अधिक पाठकों, 100 से अधिक रचनात्मक, साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से लगाई जा सकती है. 17 अगस्त को कश्मीर घाटी के इस सबसे बड़े पुस्तक मेले का आगाज हुआ था. उद्घाटन समारोह में श्रीनगर के उपायुक्त डा बिलाल मोहिउद्दीन भट ने कश्मीर की आवाम से वादा किया था कि यह महोत्सव केवल किताबों के नजरिये से ही नहीं, घाटी की संस्कृति, भाषा, कला हर तरह से यहां की आवाम के लिए अहम होगा. उनके इस वादे को और कश्मीर में राष्ट्रीय पुस्तक महोत्सव के ख्वाब को घाटी की आवाम ने एसकेआईसीसी पहुंचकर पूरा किया.

चिनार पुस्तक महोत्सव उर्दू साहित्य के लिहाज से भी सबसे बड़ा पुस्तक मेला रहा, जहां 90 से अधिक उर्दू किताबों के स्टाल पाठकों के लिए थे. नौ दिवसीय पुस्तक महोत्सव में देशभर से आए लेखकों, साहित्यकारों से लेकर देश-सेवा में समर्पित आईएएस अधिकारी, विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर, कालेज स्टूडेंट, प्रोफेसर, स्कूल प्रिंसिपल, स्कूली बच्चों, युवा, फिल्म निर्देशक, अभिनेता, सरकारी, गैर-सरकारी संस्थानों से अधिकारियों, गायकों, विशेषज्ञों आदि ने शिरकत की. चिनार पुस्तक महोत्सव युवाओं के लिए एक बेहतरीन मंच इसलिए भी बना, क्योंकि यहां उन्हें साहित्य, कला और संस्कृति का संगम मिला. किताबों की दुनिया के बीच पाठक दोपहर बाद होने वाले म्यूजिकल कान्सर्ट में भी देर शाम तक जमे रहे. पुस्तक महोत्सव में पाठकों ने भारत की विभिन्न भाषाओं में आयोजित मुशायरे का आनंद लिया. चिनार पुस्तक महोत्सव में लगी फोटो प्रदर्शनियों ने भी बच्चों और युवाओं को खूब लुभाया. भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद ने यहां जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती फोटो प्रदर्शनी लगाई थी, जिसमें जम्मू और कश्मीर के इतिहास, विरासत, सभ्यता, संस्कृति, परंपरा, कला, साहित्य, ज्ञान को बड़े ही अनोखे ढंग से दिखाया गया था. दूसरी फोटो प्रदर्शनी कारगिल विजय दिवस के 25 वर्ष पूरे होने पर थी, जिसमें बच्चों और युवाओं ने कारगिल के वीर योद्धाओं की कहानियां पढ़ीं. तीसरी फोटो प्रदर्शनी 23 अगस्त राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस को ध्यान में रखते हुए इसरो के सहयोग से लगाई गई थी, जिसमें भारत की अंतरिक्ष विकास यात्रा को दर्शाया गया था. चिनार पुस्तक महोत्सव में बच्चों और युवाओं को राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय के बारे में भी बताया गया. यह अपनी तरह पहला ऐसा मोबाइल ऐप्लिकेशन है जिसमें अलग-अलग आयु वर्ग के बच्चों और युवाओं को पढ़ने के लिए नि:शुल्क ई-पुस्तकें पढ़ने के लिए मिलती हैं. चिनार पुस्तक महोत्सव दिव्यांग पाठकों के लिए पढ़ने का अवसर लेकर आया. नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया की तरफ से यहां के एक स्टाल पर ब्रेल पुस्तकें यूनिक आईडी दिखाने के बाद नि:शुल्क प्राप्त करने का भी अवसर था.